दिल्ली विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच नई दिल्ली विधानसभा सीट इस बार चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यहां से तीनों प्रमुख पार्टियों ने बड़े नेताओं को मैदान में उतारने की तैयारी कर ली है।
- आम आदमी पार्टी (आप): पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस सीट से चौथी बार चुनाव लड़ेंगे।
- कांग्रेस: इस बार कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को अपना उम्मीदवार बनाया है।
- भाजपा: भाजपा से पूर्व सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा का नाम लगभग तय माना जा रहा है।
अरविंद केजरीवाल: नई दिल्ली के लगातार विजेता
अरविंद केजरीवाल इस सीट पर लगातार तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं।
- 2013: केजरीवाल ने पहली बार इस सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर सनसनी मचाई थी।
- 2015 और 2020: उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की।
- 2015 में वोट प्रतिशत: 64.1%
- 2020 में वोट प्रतिशत: 61.4%
केजरीवाल की तैयारी
- चुनाव से दो महीने पहले ही नई दिल्ली क्षेत्र में सक्रिय होकर डोर-टू-डोर कैंपेन चला रहे हैं।
- क्षेत्रीय विकास और जनसंपर्क के दम पर चौथी बार जीत की कोशिश में जुटे हैं।
कांग्रेस: शीला दीक्षित की विरासत पर दांव
कांग्रेस ने इस बार संदीप दीक्षित को नई दिल्ली सीट से मैदान में उतारकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है।
- संदीप दीक्षित दो बार पूर्वी दिल्ली से सांसद रह चुके हैं।
- उनकी मां और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इस सीट को लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ बनाए रखा था।
भाजपा: साहिब सिंह वर्मा की विरासत के साथ प्रवेश वर्मा तैयार
भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे और पश्चिमी दिल्ली से दो बार सांसद रहे प्रवेश वर्मा को इस सीट पर उतारने की योजना बनाई है।
- भाजपा को उम्मीद है कि प्रवेश वर्मा की छवि और दिल्ली में अपने वोट बैंक के सहारे वह अरविंद केजरीवाल को चुनौती दे सकते हैं।
पिछले चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन
- 2015 में: भाजपा की नूपुर शर्मा ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें कुल मतों का आधा हिस्सा भी नहीं मिला।
- 2020 में: भाजपा ने सुनील यादव को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन केजरीवाल ने भारी अंतर से जीत दर्ज की।
इस बार क्यों है नई दिल्ली सीट खास?
- तीन दिग्गज नेता:
- अरविंद केजरीवाल (आप)
- संदीप दीक्षित (कांग्रेस)
- प्रवेश वर्मा (भाजपा)
- सभी उम्मीदवारों के राजनीतिक करियर पर नई दिल्ली सीट का परिणाम गहरा असर डाल सकता है।
- भाजपा और कांग्रेस के बड़े नामों के उतरने से इस बार यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले का केंद्र बन गई है।