नारियल तेल पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला: नारियल तेल की कीमत में लगातार हो रही बढ़ोतरी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लिया है। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की तीन जजों की बेंच ने यह बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा, ‘छोटे पैकेट में नारियल तेल को खाद्य तेल की श्रेणी में रखा जा सकता है. इस फैसले से साफ है कि हेयर ऑयल के तौर पर इस पर 18 फीसदी टैक्स लगता है, लेकिन अगर इसे खाद्य तेल के तौर पर बेचा जाए तो सिर्फ 5 फीसदी टैक्स लगेगा, जिससे 13 फीसदी टैक्स की बचत होगी. जाहिर है इस फैसले से जहां कंपनियों को फायदा हुआ है, वहीं इसे हेयर ऑयल के तौर पर इस्तेमाल करने वाले लोगों को भी फायदा होगा.
इस मामले में 15 साल लग गए
इस मामले पर फैसला देने में सुप्रीम कोर्ट को 15 साल लग गए. वर्ष 2009 में CESTAT ने उद्योग के पक्ष में फैसला सुनाया। टैक्स घटाकर इसे खाद्य तेल की श्रेणी में रखा गया। 2018 में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने इस मुद्दे पर खंडित फैसला सुनाया था. यह मामला सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच के सामने आया। कोर्ट ने 17 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दूसरे तेलों पर भी पड़ सकती है गाज
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर तेल की अन्य छोटी बोतलों की कीमतों पर भी पड़ सकता है. क्योंकि जैतून का तेल, तिल का तेल और मूंगफली का तेल खाना पकाने और बालों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्त की अर्जी खारिज कर दी
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के सामने मुद्दा यह था कि क्या छोटे पैकेजों में यानी 2 किलो से कम वजन वाले नारियल केश तेल को शीर्ष 1513 के तहत ‘खाद्य तेल’ माना जाना चाहिए या शीर्ष 3305 के तहत ‘हेयर ऑयल’ माना जाना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्त की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें छोटे पैकेज में नारियल तेल को बालों के तेल के रूप में वर्गीकृत करने और उस पर 18 प्रतिशत कर लगाने की मांग की गई थी।