पिछले 10 साल में बैंकों ने 12 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया है. जबकि पिछले पांच साल में सरकारी बैंकों ने कर्ज माफी की आधी से ज्यादा रकम माफ कर दी है. भारतीय स्टेट बैंक ने सबसे ज्यादा कर्ज माफ किया है. वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2024 के बीच बैंकों ने कुल 12.3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए हैं. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच साल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने इस रकम का 53 फीसदी यानी 6.5 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिया है.
आंकड़ों के मुताबिक शीर्ष 100 डिफॉल्टरों का कुल एनपीए में 43 फीसदी योगदान है. यह जानकारी आईटीआर के जरिये मिलती है. डिफॉल्टरों में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड भी शामिल है. इसके अलावा इसमें जिंदल और जेपी ग्रुप की कंपनियां भी शामिल हैं।
एनपीए के मामले में भी सरकारी बैंक सबसे आगे हैं. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 30 सितंबर, 2024 तक सरकारी बैंकों का एनपीए 3,16,331 करोड़ रुपये था। जबकि निजी बैंकों का एनपीए 1,34,339 करोड़ है
रुपये था.
जिन बैंकों ने कर्ज माफ किया है, उनमें रकम के मामले में एसबीआई सबसे आगे है। इन पांच सालों में एसबीआई ने करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए हैं. दूसरे नंबर पर पंजाब नेशनल बैंक है. तीसरी रैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, चौथी रैंक बैंक ऑफ बड़ौदा और पांचवीं रैंक बैंक ऑफ इंडिया है।
सरकारी बैंक भी लोन बांटने में काफी आगे हैं. इन पांच सालों में एसबीआई ने दो लाख करोड़ रुपये के लोन बांटे हैं. पंजाब नेशनल बैंक ने 94,702 करोड़ रुपये डायवर्ट किए हैं.
चालू वित्त वर्ष के दौरान सितंबर के अंत तक सरकारी बैंकों ने 42 हजार करोड़ रुपये का डायवर्जन किया है, जबकि पिछले पांच साल में यह आंकड़ा 6.5 लाख करोड़ रुपये था।
चौधरी ने कहा कि आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंकों के बोर्ड की अनुमोदित नीति के अनुसार एनपीए को चार साल पूरे होने पर बट्टे खाते में डाल दिया जाता है।
आरबीआई के मुताबिक, कंपनियां दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं
*रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड
*रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड
*जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड
*जयप्रकाश पावर वेंचर लिमिटेड
* जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड
*आईएल एंड एफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड
* रुचि सोया इंडस्ट्रीज
* वीडियोकॉन ग्रुप की दो कंपनियां
*जिंदल इंडिया थर्मल पावर