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सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं, बच्चों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश तैयार करने पर विचार किया

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को समाज में महिलाओं, बच्चों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय दिशानिर्देश तैयार करने की याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और संबंधित विभागों को नोटिस जारी किया। साथ ही, मामले की अगली सुनवाई जनवरी में निर्धारित की गई है।

याचिकाकर्ता की दलील: यौन उत्पीड़न के मामलों की अनदेखी

याचिका सुप्रीम कोर्ट वुमन लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पवानी ने दायर की। उन्होंने कहा कि छोटे शहरों में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की कई घटनाएं हो रही हैं, लेकिन इन्हें दर्ज नहीं किया जा रहा है।

विशेष मामला:

उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की घटना का हवाला दिया। पवानी ने बताया कि इस घटना के बाद यौन हिंसा की करीब 95 अन्य घटनाएं हुईं, लेकिन उन्हें उजागर नहीं किया गया।

कठोर सजा की मांग

पवानी ने सुझाव दिया कि स्कैंडिनेवियाई देशों की तरह अपराधियों के लिए रासायनिक नपुंसकता जैसी कठोर सजा दी जानी चाहिए।

पीठ की प्रतिक्रिया:

हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने कहा कि याचिका में शामिल कुछ अनुरोध बर्बर और भयावह हैं, इसलिए वे उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

सार्वजनिक परिवहन में जागरूकता और सुरक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा और उचित व्यवहार सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत का बयान:

उन्होंने कहा कि बसों, मेट्रो, और ट्रेनों में “उचित सामाजिक व्यवहार” के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

  • क्या करें और क्या न करें: सार्वजनिक परिवहन में यात्रियों को यह बताना जरूरी है कि उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए।
  • सख्त लागू करना: उन्होंने कहा कि एयरलाइंस में भी कई अनुचित घटनाएं सामने आई हैं, इसलिए नियमों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।

निर्भया मामले का संदर्भ

महालक्ष्मी पवानी ने 2012 के निर्भया गैंगरेप केस की बरसी का उल्लेख करते हुए कहा कि उस भयावह घटना के बावजूद समाज में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है।

प्रश्न उठाए:

उन्होंने कहा, “कड़े कानून और दिशानिर्देश तो मौजूद हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वे सही से लागू हो रहे हैं?”

केंद्र सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि यह देखना जरूरी है कि नियमों के कार्यान्वयन में कहां कमी रह जा रही है।

अदालत का निर्देश:

  • पीठ ने कहा कि केंद्र के मंत्रालयों और उनके संबंधित विभागों को अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के माध्यम से नोटिस जारी किया जाए।
  • अगली सुनवाई जनवरी में होगी, जहां सरकार की प्रतिक्रिया पर विचार किया जाएगा।