उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक और मंत्री अक्सर अधिकारियों और थानेदारों के फोन न उठाने की शिकायत करते हैं। यह समस्या यूपी विधानसभा में भी उठाई गई थी, जिसके बाद मुख्य सचिव और डीजीपी ने अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के फोन उठाने के निर्देश जारी किए। हालांकि, इन निर्देशों का ज्यादा असर दिखाई नहीं देता।
ताजा मामला कानपुर का है, जहां राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने कानपुर के बर्रा थाना अध्यक्ष को बार-बार फोन किया, लेकिन थानेदार ने उनका फोन उठाना जरूरी नहीं समझा। मंत्री को आखिरकार खुद थाने पहुंचना पड़ा।
मामले की शुरुआत: मंत्री के फोन कॉल्स का जवाब नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक:
- 29 दिसंबर 2024:
- कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र में बीजेपी कार्यकर्ता को पीटे जाने की शिकायत पर राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने थाना अध्यक्ष को फोन किया।
- उन्होंने छह बार कॉल किया, लेकिन थानेदार ने जवाब नहीं दिया।
- फोन न उठाने पर मंत्री खुद दलबल के साथ थाने पहुंचीं।
थाने पहुंचने पर मचा हड़कंप
- मंत्री के थाने पहुंचने की खबर मिलते ही, सीनियर अधिकारी तुरंत थाने पहुंचे।
- उन्होंने मंत्री को भरोसा दिलाया कि बीजेपी कार्यकर्ता पर हमला करने वाले बदमाशों की जल्द गिरफ्तारी होगी।
- मंत्री ने थानेदार को कड़ी फटकार लगाई और इस मामले की शिकायत एसपी से भी की।
- पुलिस कमिश्नर ने थानेदार के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
- कानपुर के बर्रा इलाके के जरौली में रहने वाले बीजेपी नेता महेश तिवारी के रिश्तेदार ने प्रॉपर्टी डीलर विकास पाल से एक प्लॉट खरीदा था।
- बाद में पता चला कि प्लॉट अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति का है।
- जब तिवारी के रिश्तेदारों ने प्लॉट के पैसे वापस मांगे, तो प्रॉपर्टी डीलर विनोद ने पैसे लौटाने से इनकार कर दिया।
- इसके बाद महेश तिवारी ने प्रॉपर्टी डीलर को फोन किया।
बीजेपी नेता पर हमले का आरोप
- महेश तिवारी ने अपनी शिकायत में दावा किया कि:
- प्रॉपर्टी डीलर विनोद ने उन्हें अपने गेस्टहाउस बुलाया।
- वहां उसने दबंगों के साथ मिलकर उनकी जमकर पिटाई की।
- जब महेश तिवारी अपने बेटे के साथ थाने पहुंचे, तो पुलिस ने उनकी रिपोर्ट लिखने से इनकार कर दिया।
- इसके बाद मामला राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला तक पहुंचा।
मंत्री की सख्ती के बाद कार्रवाई शुरू
- पुलिस अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि मामले में निष्पक्ष जांच की जाएगी।
- दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई का वादा किया गया।
- थानेदार के खिलाफ जांच शुरू हो चुकी है, और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल
- यूपी में मंत्री और विधायकों के फोन न उठाने की समस्या कोई नई बात नहीं है।
- बार-बार निर्देशों के बावजूद अधिकारियों और थानेदारों की अनदेखी से शासन की छवि पर सवाल खड़े होते हैं।