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तिरुपति मंदिर में भगदड़: बैकुंठ एकादशी के मौके पर छह श्रद्धालुओं की मौत

Tirupati Mandir Vaikunth Ekadash

आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर, जिसे तिरुमला-तिरुपति देवस्थानम (TTD) के नाम से भी जाना जाता है, में बुधवार रात एक भयानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। यह भगदड़ बैकुंठ एकादशी के अवसर पर बैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए सैकड़ों श्रद्धालुओं के टिकट पाने की कोशिश के दौरान हुई, जिसके परिणामस्वरूप धक्का-मुक्की हुई।

बैकुंठ एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म में बैकुंठ एकादशी का पर्व पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इसे स्वर्ग की प्राप्ति और बैकुंठ धाम में जाने का अवसर माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की आराधना करते हैं, जो तिरुपति मंदिर में वेंकटेश्वर के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु तिरुपति मंदिर के दर्शन के लिए उमड़ते हैं।

तिरुपति मंदिर के प्रमुख आयोजन

तिरुपति मंदिर में ऐतिहासिक रूप से दो प्रमुख आयोजन होते हैं: बैकुंठ दर्शन और ब्रह्मोत्सव। बैकुंठ दर्शन को पहले एक दिवसीय उत्सव से बढ़ाकर दो दिन का और फिर 10 दिवसीय कार्यक्रम बना दिया गया है। इस उत्सव के दौरान, भगवान वेंकटेश्वर के गर्भगृह का उत्तर द्वारम भक्तों के लिए खोला जाता है, जिससे उन्हें गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा करने का अवसर मिलता है।

भक्तों की तैयारी और यात्रा

बैकुंठ उत्सव में भाग लेने के लिए भक्त 41 दिन पहले से तैयारी शुरू करते हैं, गोविंदा माला पहनते हैं, पीले कपड़े पहनते हैं और भक्ति के प्रतीक के रूप में नंगे पैर चलते हैं। कई श्रद्धालु हजारों किलोमीटर दूर से पैदल यात्रा करके तिरुमाला पहुंचते हैं।

पुराणों में वर्णन

पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु इन दस दिनों के दौरान बैकुंठ लोक में अपने शिष्यों के साथ बैठक करते हैं, और भक्तों को उनकी सभा में शामिल होने की अनुमति दी जाती है। यह दिव्य बैठक प्रतीकात्मक रूप से धरती पर दिखाई देती है। टीटीडी प्रशासन का मानना है कि इन दस दिनों में दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बैकुंठ एकादशी के इस खास उत्सव में लाखों श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद है, जबकि हालिया भगदड़ की घटना ने सुरक्षा की आवश्यकताओं को और अधिक बढ़ा दिया है।