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अभिषेक मनु सिंघवी का केंद्र पर हमला: ‘1975 का आपातकाल गलती थी, लेकिन आज का अघोषित आपातकाल बिना समय सीमा के

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को 1975 के आपातकाल को गलती बताते हुए वर्तमान में देश में ‘अघोषित आपातकाल’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह आपातकाल बिना किसी तय समय सीमा के चल रहा है और इसे रोकने के लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं है।

संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा

राज्यसभा में संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने 1975 के आपातकाल को एक ‘संवैधानिक विकृति’ करार दिया। उन्होंने कहा:

“1975 का आपातकाल एक गलती थी, और कांग्रेस ने इसे पहले भी स्वीकार किया है। वह आपातकाल 18 महीने बाद समाप्त हो गया था। लेकिन आज जो अघोषित आपातकाल चल रहा है, उसकी कोई समय सीमा नहीं है।”

वर्तमान में अघोषित आपातकाल का आरोप

सिंघवी ने कहा कि आज के दौर में लोकतंत्र के स्तंभ ‘हिल रहे हैं’ और तानाशाही का प्रवेश सत्ता के गलियारों में हो चुका है। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा:

“हमारी संप्रभुता का पवित्र ग्रंथ संविधान खतरे में है। धर्मनिरपेक्षता की पवित्रता को नष्ट किया जा रहा है और संघवाद को कमजोर किया जा रहा है। लोकतंत्र की रक्षा करने वाले अब इसके भक्षक बन गए हैं।”


 की निष्क्रियता और असहमति का दमन

सिंघवी ने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में:

  1. संस्थाएं निष्क्रिय हो रही हैं।
  2. असहमति को दबाया जा रहा है।
  3. सच को छिपाया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के रक्षक अब आजादी के ‘शिकार’ बन गए हैं।

गांधी, नेहरू और पटेल की विरासत

सिंघवी ने कहा कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के सही निर्णयों के कारण ही भारत का लोकतंत्र आज भी मजबूत है। उन्होंने कहा:

“दूसरे देशों में जहां लोकतंत्र कमजोर हो गया है, वहीं भारत में यह आज भी मजबूती से खड़ा है।”

बुलडोजर राजनीति पर सवाल

सिंघवी ने बुलडोजर राजनीति का मुद्दा उठाते हुए कहा कि:

“95 प्रतिशत से अधिक बुलडोजर की कार्रवाई एक खास समुदाय के खिलाफ की गई। यह राजनीति इतनी बढ़ गई है कि मुख्यमंत्री अब एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।”

संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की अपील

अभिषेक मनु सिंघवी ने संविधान की रक्षा पर जोर देते हुए कहा कि देश को धर्मनिरपेक्षता और संघवाद के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है।