फेफड़ों का कैंसर दुनिया में सबसे आम कैंसरों में से एक है। द लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में, 2,206,771 नए मामलों के साथ फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में दूसरा सबसे आम कैंसर था। इतना ही नहीं, यह 1,796,144 मौतों के साथ कैंसर से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण भी था।
इस कैंसर के कारण होने वाली मृत्यु का एक प्रमुख कारण निदान में देरी है जिसके कारण समय पर इलाज शुरू नहीं हो पाता है। ऐसे में आप डायमंड फिंगर टेस्ट करके जान सकते हैं कि आपको खतरा है या नहीं। यह टेस्ट न सिर्फ आसान है, बल्कि इसे घर पर भी आसानी से किया जा सकता है।
डायमंड फिंगर टेस्ट क्या है?
इस परीक्षण में अंगूठे और तर्जनी को एक साथ लाना शामिल है। यदि उनके बीच कोई जगह नहीं है, तो यह उंगलियों के आपस में जुड़ने का संकेत है, जो फेफड़ों के कैंसर की संभावना को दर्शाता है। कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार, यह स्थिति गैर-छोटी कोशिका फेफड़ों के कैंसर वाले 35% से अधिक लोगों में होती है। क्लबिंग फेफड़े, हृदय या पाचन तंत्र की समस्याओं का संकेत दे सकता है।
इन लक्षणों से पहचानें फेफड़े का कैंसर
फेफड़ों के कैंसर के लक्षणों में 3 सप्ताह से अधिक समय तक ठीक न होने वाली खांसी, छाती में संक्रमण, खांसी के साथ खून आना, सांस लेने में तकलीफ और भूख न लगना शामिल हैं। इसके अलावा चेहरे और गर्दन पर सूजन, घरघराहट और निगलने में कठिनाई भी इसके लक्षण हो सकते हैं।
कैंसर के कारण और जोखिम
फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान, प्रदूषण, एस्बेस्टस और रेडॉन के संपर्क में आना है। इसके अलावा पारिवारिक इतिहास, एचआईवी भी इस बीमारी के जोखिम कारक हैं।
निवारक उपाय
फेफड़ों के कैंसर से बचाव के लिए धूम्रपान छोड़ना या उससे परहेज करना बहुत जरूरी है। इसके अतिरिक्त, संतरे, कीनू, आड़ू और गाजर जैसे खाद्य पदार्थ फेफड़ों के कैंसर की संभावना को कम कर सकते हैं। साथ ही प्रदूषण के मौसम में फेस मास्क पहनना भी फायदेमंद हो सकता है।