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हाई कोर्ट: सुखपाल खैरा को नहीं मिली राहत, जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित

भुलत्थ से कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा को एक बार फिर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। ड्रग मामले में सुखपाल सिंह खैरा ने जमानत याचिका दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट कभी भी अपना फैसला सुना सकता है. 

इससे पहले 14 नवंबर को पंजाब के एजी गुरमिंदर सिंह और खैरा के वकील के बीच ढाई घंटे तक बहस हुई थी और मामले को 17 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया था. लेकिन आज भी खैरा को कोर्ट से राहत नहीं मिली है. इससे पहले 2 नवंबर को हाई कोर्ट खैरा की जमानत पर फैसला सुनाने वाला था, लेकिन आखिरी वक्त पर पंजाब सरकार के वकील ने खैरा के खिलाफ नए सबूत होने का दावा किया. जिसके बाद 6 नवंबर की तारीख तय की गई. लेकिन इस तारीख पर भी पंजाब सरकार ने और समय मांगा था 

इससे पहले ईडी ने कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी को फंडिंग के मामले में सुखपाल सिंह खैरा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा को जलालाबाद पुलिस ने 2015 के एक पुराने एनडीपीएस मामले में 28 सितंबर को उनके चंडीगढ़ स्थित घर से गिरफ्तार किया था। 

खैरा ने याचिका में कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता को विभिन्न स्तरों पर राहत मिलने के बावजूद पंजाब पुलिस उसके खिलाफ कानून के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. वह पहले आम आदमी पार्टी में थे और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गये।

 

 इसके चलते उन पर राजनीतिक प्रतिशोध के तहत कार्रवाई की जा रही है. याचिका में खैरा ने गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने निचली अदालत द्वारा उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने के फैसले को रद्द करने की भी मांग की है.

उन्होंने बताया कि मार्च 2015 में फाजिल्का के जलालाबाद में एनडीपीएस के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में गुरदेव सिंह समेत नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और बाद में उन्हें एनडीपीएस एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया था.

 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने खैरा के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी, जिसे अतिरिक्त आरोप के रूप में तलब किया गया था। उन्हें 2015 के ड्रग्स मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 2021 में ईडी ने गिरफ्तार किया था। 2022 में उन्हें जमानत मिल गई. फरवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग्स मामले में खैर के खिलाफ समन आदेश को रद्द कर दिया.