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हाईकोर्ट ने विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि कटी उंगलियों वाले अभ्यर्थी को टाइपिंग टेस्ट देने के लिए मजबूर करना मनमाना और गैरकानूनी

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पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि किसी अभ्यर्थी की अंगुलियां कटने के बावजूद उसे टाइपिंग टेस्ट पास करने के लिए मजबूर करना अनुचित और अवैध है। यह आदेश पटियाला निवासी सतिंदरपाल सिंह के मामले में दिया गया, जिन्होंने पूर्व सैनिक आरक्षित श्रेणी के तहत पंजाब सरकार के क्लर्क पद के लिए आवेदन किया था।

याचिकाकर्ता का पक्ष

सतिंदरपाल सिंह ने अदालत को बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान ड्यूटी निभाते हुए उनके दोनों हाथों की दो-दो अंगुलियां कट गई थीं। उन्होंने तर्क दिया कि शारीरिक रूप से विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को टाइपिंग टेस्ट से छूट दी गई है, लेकिन उन्हें इस लाभ से वंचित कर दिया गया क्योंकि वे पूर्व सैनिक श्रेणी के तहत आवेदन कर रहे थे।

कोर्ट का फैसला

जस्टिस हरिश्मरन सिंह सेठी ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता पूर्व सैनिक आरक्षित श्रेणी की पात्रता और 40 प्रतिशत शारीरिक विकलांगता की आवश्यक शर्तें पूरी करता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार, सिविल सर्जन द्वारा प्रमाणित विकलांगता वाले अभ्यर्थियों को टाइपिंग टेस्ट से छूट दी जानी चाहिए।

समान लाभ का निर्देश

अदालत ने कहा कि यदि कोई पूर्व सैनिक 40 प्रतिशत या उससे अधिक की शारीरिक विकलांगता से पीड़ित है, तो उसे शारीरिक विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों के समान लाभ मिलना चाहिए।

निष्कर्ष

हाई कोर्ट के इस फैसले से विकलांगता के आधार पर समान अधिकार सुनिश्चित करने और पूर्व सैनिकों को उनके योगदान के लिए न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।