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सेंसर बताएंगे प्रदूषण कहां से आया, कहां जा रहा है; आईआईटी कानपुर ने वायु प्रदूषण मापने के लिए एक अनूठी प्रणाली विकसित की

कानपुर: दिल्ली समेत देश के कई शहरों में बड़ी चिंता का विषय बन चुके वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक नई उम्मीद जगी है. आईआईटी कानपुर के सेंसर प्रदूषण निगरानी के लिए कारगर हथियार बनेंगे। आईआईटी कानपुर का उत्कृष्टता केंद्र ‘आत्मन’ अब वायु प्रदूषण के मौजूदा घटते स्तर के आंकड़ों के बजाय जनता को यह बताने की तैयारी कर रहा है कि प्रदूषित हवा की सघनता कितनी और कहां है। प्रदूषित हवा का एयर श्रेण यानी वायु समूह किस क्षेत्र में बन रहा है और हवा के प्रवाह के साथ किस दिशा में पहुंचने की संभावना है।

इस विश्लेषण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग से देश में पहली बार वायु प्रदूषण की वास्तविक स्थिति और उसके स्रोत की पहचान की जा रही है। केंद्र की ओर से उत्तर प्रदेश और बिहार के हर ब्लॉक में प्रदूषण मापने वाले सेंसर लगाए जाने से हवा की गुणवत्ता की तस्वीर सामने आने लगी है. यह प्रदूषित वायु के निर्माण, सांद्रण और प्रवाह के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है। दोनों राज्यों की निगरानी प्रणाली द्वारा प्राप्त वायु गुणवत्ता की तस्वीर में वायुमंडल में एक वायु छाया यानी समान गुणवत्ता वाली हवा की एक परत दिखाई देती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग इंजीनियरिंग प्रयोगों से आईआईटी के इंजीनियरों ने पाया कि दोनों राज्यों में ऐसे जिले हैं जहां प्रदूषित गैसों का उत्पादन लगभग शून्य है, लेकिन प्रदूषित हवा अन्य क्षेत्रों से उन जिलों में पहुंच रही है। कई जिलों में हरे रंग की हवा भी देखी गई है, जो पूरे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता की शुद्धता की कहानी बताती है।

ये जानकारी मिलेगी

आत्मन सेंटर के प्रमुख और आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग और सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर। सचिदानंद त्रिपाठी के मुताबिक, यूपी और बिहार दोनों के सभी ब्लॉकों और शहरों में 1400 स्वदेशी वायु गुणवत्ता निगरानी सेंसर लगाए जा रहे हैं। 18 नवंबर, 2023 तक 846 सेंसर लगाए जा चुके हैं। यह देश का सबसे बड़ा सेंसर आधारित वायु गुणवत्ता माप नेटवर्क है जिसमें एक मोबाइल प्रयोगशाला भी शामिल है। एआई-एमएल की मदद से नेटवर्क रिपोर्ट और वायु प्रवाह की गति और दिशा का विश्लेषण करके यह निष्कर्ष निकालना संभव होगा कि किस क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर किस दिन, किस समय और कितना बढ़ेगा।

निवारक उपाय जिन्हें लागू किया जा सकता है

इससे प्रदूषण की रोकथाम के उपाय लागू करना और आम जन जीवन को प्रभावित होने से रोकना संभव हो सकेगा। प्रदूषण के स्तर का पता लगाने के लिए लखनऊ समेत कई शहरों में मोबाइल सेंसर इकाइयां भी घूम रही हैं। सेंसर की संख्या बढ़ने के बाद यह भी पता लगाना संभव हो सकेगा कि पृथ्वी के किस हिस्से में प्रदूषणकारी गैस हो रही है। प्रो आत्मन सेंटर की स्थापना और वायु गुणवत्ता पर शोध के लिए सच्चिदानंद त्रिपाठी को देश का शीर्ष इंफोसिस अवार्ड 2023 भी मिल चुका है।