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सुप्रीम कोर्ट में हलाल प्रमाणन का मुद्दा: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें

Supreme Court Of India Pti Pho (1)

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में हलाल प्रमाणीकरण से जुड़े एक अहम मुद्दे को उठाया। उन्होंने सवाल किया कि ऐसे गैर-मांस उत्पाद, जैसे सीमेंट और लोहे की छड़, जिनका हलाल प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं है, उनके हलाल प्रमाणीकरण का क्या औचित्य है? यह मामला उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणन वाले खाद्य उत्पादों के भंडारण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं से जुड़ा है।

हलाल प्रमाणीकरण का विवाद

तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष कहा कि हलाल मांस पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती, लेकिन जब यह प्रक्रिया आटा, बेसन, सीमेंट और लोहे की छड़ों तक पहुंचती है, तो यह विचारणीय हो जाता है। उन्होंने कहा, “बेसन को हलाल प्रमाणित करने की क्या आवश्यकता है? बेसन हलाल या गैर-हलाल कैसे हो सकता है?”

अधिक कीमत का मुद्दा

सॉलिसिटर जनरल ने इस पर भी जोर दिया कि हलाल प्रमाणीकरण एजेंसियां भारी शुल्क वसूल रही हैं, जिससे करोड़ों का राजस्व इकट्ठा हो रहा है। उन्होंने कहा, “जो लोग हलाल-प्रमाणित उत्पादों का उपभोग नहीं करना चाहते, उन्हें भी अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। यह उचित नहीं है।”

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील ने दलील दी कि हलाल प्रमाणीकरण एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है और यह उपभोक्ता की जीवनशैली से संबंधित है।

केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का ऐसे राज्य स्तरीय विनियमों पर कोई अधिकार नहीं है।

याचिकाओं पर अदालत का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई 24 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम और अधिसूचना का संदर्भ

18 नवंबर 2023 को उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना के तहत हलाल प्रमाणन वाले खाद्य उत्पादों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसे लेकर याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

हलाल प्रमाणन की सीमाएं और विवाद

केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि हलाल प्रमाणीकरण का मसला घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार से संबंधित हो सकता है, लेकिन राज्य सरकारें अपनी अधिसूचनाओं और नीतियों को लागू करने के लिए स्वतंत्र हैं। हलाल प्रमाणीकरण के दायरे और औचित्य पर उठाए गए सवाल अब अदालत के निर्णय के बाद ही स्पष्ट होंगे।