सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि कर्नाटिक गायक टी.एम. कृष्णा को एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी पुरस्कार के प्राप्तकर्ता के रूप में फिलहाल मान्यता न दी जाए। यह आदेश जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की बेंच ने एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी के पोते वी. श्रीनिवासन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि कृष्णा ने दिवंगत महान गायिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
बेंच ने कहा, “संगीत प्रेमियों के बीच एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी की प्रतिष्ठा सर्वोच्च है। वह एक महान गायिका थीं, और उनके निधन (दिसंबर 2004) के बावजूद उनकी मधुर आवाज आज भी उनके प्रशंसकों में उत्साह और प्रेरणा भरती है।”
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चूंकि पुरस्कार पहले ही दिए जा चुके हैं, इसलिए अंतरिम उपाय के रूप में टी.एम. कृष्णा को पुरस्कार के विजेता के रूप में मान्यता नहीं दी जाएगी।
मद्रास हाईकोर्ट का पूर्व आदेश
इससे पहले, मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जी. जयचंद्रन ने 19 नवंबर को वी. श्रीनिवासन की याचिका पर सुनवाई करते हुए टी.एम. कृष्णा को एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी पुरस्कार देने पर रोक लगा दी थी। हालांकि, 13 दिसंबर को मद्रास हाईकोर्ट की जस्टिस एस.एस. सुंदर और जस्टिस पी. धनबल की बेंच ने इस रोक को हटा दिया था।
हाईकोर्ट ने कहा था कि 19 नवंबर के आदेश के खिलाफ की गई अपील को स्वीकार करते हुए कृष्णा को पुरस्कार देने में कोई बाधा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा
मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को वी. श्रीनिवासन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमण ने दलील दी कि यह मामला साधारण नहीं है। उन्होंने कहा कि टी.एम. कृष्णा ने सोशल मीडिया और लेखों के माध्यम से एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी के खिलाफ आपत्तिजनक और अपमानजनक टिप्पणियां की हैं।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टी.एम. कृष्णा, संगीत अकादमी, द हिंदू और टीएचजी पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किया और चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
श्रीनिवासन के आरोप
श्रीनिवासन ने अपने मुकदमे में आरोप लगाया कि टी.एम. कृष्णा की टिप्पणियों से उनकी दादी एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी की छवि को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि कृष्णा की बयानबाजी अपमानजनक और जहर उगलने वाली है, इसलिए उन्हें यह पुरस्कार नहीं दिया जाना चाहिए।