फारबिसगंज/अररिया , 9 दिसंबर (हि.स.)। सीमांचल में हर वर्ष आने वाले बाढ़ से करोड़ों रुपये का फसल का नुकसान होता है. वही साथ ही सीमांचल से बड़े पैमाने पर रोजगार की तलाश में लोग पलायन कर बाहर जा रहे हैं. वही, कृषि आधारित उद्योग व बाढ़ का स्थाई समाधान का नहीं होना इस सीमांचल के सभी जिला के बदहाली,गरीबी ,बेरोजगारी व पलायन का मुख्य कारण है. ये बातें अररिया के पूर्व सांसद सह बिहार सरकार के पूर्व भूमि सुधार राजस्व मंत्री सरफराज आलम ने कही.
उन्होंने कहा कि सीमांचल की तस्वीर व तकदीर दोनों बदलनी है तो पड़ोसी देश नेपाल से प्रति वर्ष आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर गंभीरता से काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बाढ़ के बावजूद भी सीमांचल की धरती आज भी बिहार के अन्य जिला में सबसे ज्यादा उपजाऊ है. यहां की भूमि पर हर प्रकार की खेती योग्य भूमि उपलब्ध है. अगर किसानों के लिए कृषि आधारित उद्योग सीमांचल के इन चारों जिला में लगाया जाए तो सीमांचल सोने की चिड़िया बन सकती है. वही, सरफराज आलम ने कहा की यहां मक्का की खेती पिछले दस वर्षों से बड़े पैमाने पर हो रही है. अगर मक्का आधारित उद्योग के साथ साथ फूड प्रोसेसिंग उद्योग लगाया जाए तो ये पूरा सीमांचल काफी तेजी से विकास की ओर अग्रसर हो जायेगा.
पूर्व सांसद सरफराज आलम ने कहा कि सीमांचल आज मक्का खेती का हब बन चुका है. यहां मक्का के साथ साथ केला ,अनानास ,मखाना की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. इसके अलावा बांस आधारित उद्योग के अलावा मछली पालन की यहां अपार संभावना हैं. ऐसे में अगर कृषि के क्षेत्र में एक ब्लू प्रिंट और कार्य योजना बनाकर इसपर काम किया जाए तो कृषि उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही किसानों के आय में वृद्धि ,रोजगार के अवसर ,पलायन पर रोक लगेगा. सरफराज आलम ने केंद्र सरकार व बिहार सरकार से सीमांचल की बदहाली को रोकने के लिए बाढ़ के स्थाई समाधान व कृषि आधारित विभिन्न प्रकार के उद्योग लगाने की मांग की.