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शराब की बोतलों पर कैंसर चेतावनी अनिवार्य करने की मांग, हाई कोर्ट में याचिका दायर

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शराब के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है, जिसमें सरकार से शराब की बोतलों पर कैंसर संबंधी चेतावनी अनिवार्य करने की मांग की गई है। यह याचिका पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता यश चिलवर ने दायर की है, जिसमें केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) को इस विषय में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई है।

क्या है याचिकाकर्ता की दलील?

याचिकाकर्ता का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शराब को ‘क्लास I कार्सिनोजन’ यानी कैंसर पैदा करने वाला पदार्थ घोषित किया है, लेकिन इस जानकारी को आम जनता तक सही तरीके से नहीं पहुंचाया जा रहा है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में कहा गया है कि:
✔ शराब सेवन और कैंसर का सीधा संबंध है, लेकिन इस तथ्य का उल्लेख बोतलों पर बड़े और स्पष्ट अक्षरों में नहीं किया जाता।
✔ उपभोक्ताओं को यह जानने का पूरा अधिकार है कि वे जो उत्पाद खरीद रहे हैं, वह उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकता है।
✔ अमेरिका के सर्जन जनरल की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया कि शराब सेवन से स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, मुंह, गले, इसोफेगस, हार्ट और लैरिंक्स सहित सात तरह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

याचिका में क्या मांग की गई है?

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि:

  1. शराब की बोतलों पर ‘शराब कैंसर का कारण बन सकती है’ जैसी चेतावनी अनिवार्य की जाए।
  2. सरकार को इस संबंध में ठोस नियम बनाने के निर्देश दिए जाएं।
  3. इस फैसले को लागू करने के लिए एक निश्चित समयसीमा तय की जाए।

दूसरे देशों का उदाहरण

याचिका में यह भी बताया गया कि आयरलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे कई देशों में शराब की बोतलों पर कैंसर चेतावनी पहले से अनिवार्य की जा चुकी है। भारत में भी ऐसा नियम लागू करने की सख्त जरूरत है, ताकि शराब के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके और लोगों को इसके स्वास्थ्य संबंधी खतरों से अवगत कराया जा सके।