हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे एक किसान, रेशम सिंह (55), ने गुरुवार को जहर खाकर आत्महत्या कर ली। रेशम सिंह तरनतारन जिले के पाहुविंड गांव के निवासी थे और लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन का हिस्सा थे। यह घटना तब हुई है जब कुछ दिन पहले ही एक अन्य किसान ने भी इसी स्थान पर जान दे दी थी।
प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि वे आंदोलन के स्थायी समाधान के लिए निराश थे और केंद्र सरकार की ओर से उनकी मांगों पर ध्यान न दिए जाने से नाराज थे। रेशम सिंह का यह कदम ऐसे समय में आया है जब खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता बीते 45 दिनों से अनशन पर बैठे हुए हैं। किसान नेता ने अपनी तबीयत खराब होने के बावजूद आमरण अनशन खत्म करने से इनकार कर दिया है।
शंभू बॉर्डर पर किसानों के नेताओं का कहना है कि पिछले तीन सप्ताह में यह दूसरी आत्महत्या है। विभिन्न किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग की है। किसान नेता तेजवीर सिंह ने बताया कि रेशम सिंह सरकार द्वारा लंबे समय से चल रहे आंदोलन के मुद्दों का समाधान न करने को लेकर निराश थे।
इससे पहले, 18 दिसंबर को भी एक किसान, रणजोध सिंह, ने इसी स्थान पर आत्महत्या कर ली थी। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली कूच करने से रोक दिया था, जिसके बाद से आंदोलन जारी है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा है कि वे अपने आमरण अनशन को खत्म नहीं करेंगे और उनकी प्राथमिकता किसानों के हितों की रक्षा करना है।