आज के समय में सबसे ज़्यादा मौतें हृदय रोग और स्ट्रोक की वजह से हो रही हैं। अब यह सवाल भी खत्म होता जा रहा है कि इसका ख़तरा किसे ज़्यादा है। क्योंकि हर उम्र के पुरुष और महिलाएँ इससे प्रभावित हो रहे हैं। हालाँकि, महिलाओं के इससे बचने की संभावना ज़्यादा होती है।
हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में हार्ट अटैक, स्ट्रोक और दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम का अनुमान लगाने के लिए 3 टेस्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस अध्ययन में करीब 28,000 लोगों के डेटा को शामिल किया गया था।
हृदय स्वास्थ्य के लिए 3 परीक्षण
अध्ययन में तीन प्रमुख बायोमार्कर्स की पहचान की गई: निम्न घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल, लिपोप्रोटीन (ए) या एलपी (ए), और उच्च संवेदनशील सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), जो सूजन का संकेत देता है।
बायोमार्कर्स का महत्व
रक्त में एलडीएल, एलपी (ए) और सीआरपी के स्तर मापे गए। इन बायोमार्करों के बढ़े हुए स्तर महिलाओं में हृदय संबंधी घटनाओं के 2.6 गुना बढ़े जोखिम से जुड़े थे।
सूजन और कोलेस्ट्रॉल के बीच संबंध
सूजन और उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, सीआरपी का उच्च स्तर कई कारणों से हो सकता है, जैसे मोटापा या आनुवंशिकी।
जीवनशैली और जोखिम
उच्च एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और एलपी (ए) स्तर जीवनशैली से संबंधित हैं, लेकिन कुछ मामलों में वे आनुवंशिक भी हो सकते हैं। यह स्पष्ट है कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से जोखिम कम हो सकता है।
इस उम्र में जरूर कराएं टेस्ट
शोधकर्ताओं का मानना है कि 30 से 40 साल की उम्र में दिल के स्वास्थ्य की निगरानी शुरू कर देनी चाहिए। समय पर जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर दिल से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है।