कांग्रेस के मुख्यालय का आज से पता बदल गया है, और नए दफ्तर के उद्घाटन के अवसर पर इंदिरा भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर राहुल गांधी ने नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एक ऐसा बयान दिया, जिसने विवाद को जन्म दे दिया। राहुल ने कहा कि उनकी लड़ाई केवल भाजपा और आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठनों से नहीं है, बल्कि भारतीय राज्य से भी है। उन्होंने कहा, “यदि आप यह समझ रहे हैं कि हम भाजपा और आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठनों से लड़ रहे हैं, तो यह गलत है। इन दोनों ने देश के हर संस्थान पर कब्जा कर लिया है। अब हम भाजपा, आरएसएस और इंडियन स्टेट से भी लड़ रहे हैं।”
इस बयान पर भाजपा भड़क उठी है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम कविंद्र गुप्ता ने कहा कि अब कांग्रेस हाशिये पर जा रही है और यह विचारधारा उन्हें समाप्त कर देगी। भाजपा की ओर से राहुल गांधी से माफी की मांग की जा रही है, जबकि कांग्रेस के नेता उनकी रक्षा में उतर आए हैं। सचिन पायलट ने कहा कि राहुल गांधी के बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है और इसे समग्रता में देखना चाहिए। उन्होंने बताया कि सभी संवैधानिक संस्थाओं पर आरएसएस से जुड़े लोगों का कब्जा हो गया है, जिसके कारण न्याय नहीं मिल पा रहा।
कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद ने भी कहा कि राहुल गांधी के बयान में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि राहुल की टिप्पणी संस्थाओं में संघ के लोगों की भर्ती के संदर्भ में आई थी। फिलहाल, भाजपा राहुल गांधी से देश से माफी मांगने की मांग कर रही है। भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने लिखा, “राहुल गांधी ने अब भारतीय राज व्यवस्था के खिलाफ खुली लड़ाई का ऐलान कर दिया है। यह सीधे जॉर्ज सोरोस की ‘प्लेबुक’ से लिया गया है।”
राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा, “यह मत सोचिए कि हम निष्पक्ष लड़ाई लड़ रहे हैं। इसमें कोई निष्पक्षता नहीं है। यदि आप मानते हैं कि हम भाजपा नामक एक राजनीतिक संगठन से लड़ रहे हैं या हम आरएसएस नामक एक राजनीतिक संगठन से लड़ रहे हैं, तो आप नहीं समझ पाए हैं कि क्या हो रहा है। भाजपा और आरएसएस ने हमारे देश के प्रत्येक संस्थान पर कब्जा कर लिया है। अब हम केवल भाजपा और आरएसएस से नहीं, बल्कि ‘इंडियन स्टेट’ से भी लड़ रहे हैं।