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रक्तचाप कैसे काम करता है, यह क्यों बढ़ता या घटता है?

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रक्तचाप को दो संख्याओं के रूप में मापा जाता है, जैसे 120/80। पहली संख्या (120) सिस्टोलिक दबाव को दर्शाती है, जो आपके दिल के धड़कने के समय रक्तचाप का उच्च स्तर होता है। दूसरी संख्या (80) डायस्टोलिक दबाव को दर्शाती है, जो धड़कनों के बीच आपके दिल के आराम करने पर रक्तचाप का निम्न स्तर होता है।

रक्तचाप आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपका रक्तचाप बहुत अधिक या बहुत कम है, तो यह आपके हृदय, मस्तिष्क और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।

अब सवाल उठता है कि ऐसा क्यों होता है? तो जब हृदय से निकलने वाला रक्त नसों की दीवारों पर दबाव डालता है, तो उसे रक्तचाप कहते हैं। रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए शरीर में दो प्रमुख प्रणालियाँ हैं: एक अल्पकालिक और दूसरी दीर्घकालिक।

अल्पकालिक प्रणाली में बैरोरिसेप्टर और केमोरिसेप्टर शामिल हैं। बैरोरिसेप्टर का मुख्य कार्य रक्तचाप को नियंत्रित करना है, जबकि केमोरिसेप्टर रक्त में मौजूद रासायनिक तत्वों के संतुलन को सही करने में मदद करते हैं।

दूसरी ओर, लंबे समय में रेनिन-एंजियोटेंसिन-एल्डोस्टेरोन सिस्टम (आरएएएस) काम करता है, जिसका रक्तचाप पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। यह सिस्टम रक्तचाप को स्थिर रखने और शरीर के पानी और सोडियम संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बैरोरिसेप्टर और केमोरिसेप्टर दोनों अलग-अलग तरीके से काम करते हैं। बैरोरिसेप्टर हमारे मस्तिष्क के मेडुला ऑब्लांगेटा को संकेत भेजते हैं, जबकि केमोरिसेप्टर हमारे रक्त की रासायनिक संरचना का ध्यान रखते हैं।