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यूक्रेन पर सीजफायर के लिए पुतिन की शर्तें, अमेरिका पर बना रहे दबाव

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रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में एक नया मोड़ आया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के माध्यम से यूक्रेन पर दबाव बनवाया, जिसके चलते यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की 30 दिन के सीजफायर पर सहमत हो गए हैं।

अब जब यूक्रेन ने सीजफायर के लिए हामी भर दी है, तो पुतिन ने अमेरिका के सामने कई शर्तें रख दी हैं। उनकी मांग है कि अमेरिका इन शर्तों को स्वीकार करे और यूक्रेन पर भी दबाव बनाए, तभी रूस संघर्षविराम को अंतिम रूप देगा।


पुतिन की सबसे बड़ी मांग – यूक्रेन को न मिले नाटो की सदस्यता

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिका और नाटो से गारंटी मांगी है कि यूक्रेन को नाटो की सदस्यता नहीं मिलेगी।

पुतिन की प्रमुख मांगें:

  1. यूक्रेन को कभी भी नाटो में शामिल न किया जाए।
  2. नाटो अपने विस्तार को पूर्वी यूरोप और रूस के पड़ोसी देशों तक न बढ़ाए।
  3. यूक्रेन में नाटो देशों की सेनाएं तैनात न की जाएं।

“रूस चाहता है कि अमेरिका और नाटो वादा करें कि वे उसके पड़ोसी देशों में अपना प्रभाव नहीं बढ़ाएंगे। यूक्रेन पर हमला भी इसी वजह से हुआ था।”

रूस की चिंता यह है कि अगर नाटो यूक्रेन को अपने साथ जोड़ता है, तो उसकी सीमाओं को खतरा होगा।

रूस की दूसरी बड़ी मांग – कब्जाए गए 4 क्षेत्रों को अमेरिकी मान्यता

रूस ने अपनी एक और अहम शर्त रखी है –

अमेरिका यह माने कि क्रीमिया और यूक्रेन के चार अन्य क्षेत्र रूस का हिस्सा हैं।

संभावित रूसी क्षेत्र:

  • क्रीमिया (2014 से रूस के नियंत्रण में)
  • डोनेट्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरिज़्ज़िया और खेरसॉन (2022 में रूसी कब्जे में गए इलाके)

“पुतिन चाहते हैं कि अमेरिका इन चार कब्जे वाले इलाकों को रूस का वैध हिस्सा मान ले, तभी वे सीजफायर की दिशा में आगे बढ़ेंगे।”

हाल ही में सऊदी अरब में यूक्रेन और अमेरिका के अधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसमें जेलेंस्की ने सीजफायर की सहमति दी थी, लेकिन रूस की नई शर्तों ने इसे जटिल बना दिया है।

ट्रंप प्रशासन की सीजफायर नीति – दो मकसद स्पष्ट

अब तक अमेरिका ने यह नहीं बताया कि वह रूस से किस आधार पर सीजफायर चाहता है। लेकिन दो मुख्य कारण माने जा रहे हैं:

  1. रूस के साथ कारोबारी रिश्ते सुधारना।
  2. यूक्रेन के साथ शांति समझौते को आगे बढ़ाना।

अमेरिका की रणनीति यह है कि सऊदी अरब के अलावा तुर्की को भी वार्ता में शामिल किया जाए।

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