महाराष्ट्र में भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बीच राजनीतिक मतभेद गहराने लगे हैं। हाल ही में बुर्का पहनकर परीक्षा देने पर प्रतिबंध लगाने की भाजपा नेता नितेश राणे की मांग को लेकर दोनों सहयोगी दल आमने-सामने आ गए हैं।
बुर्का विवाद पर BJP और शिंदे गुट में मतभेद
भाजपा कोटे से मंत्री नितेश राणे ने महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दादा भुसे को पत्र लिखकर 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने दलील दी कि बुर्के की अनुमति देने से परीक्षा में कदाचार (धोखाधड़ी) की संभावना बढ़ सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि जरूरत पड़े तो परीक्षा केंद्रों पर महिला पुलिस या शिक्षकों के जरिए पहचान सत्यापन किया जा सकता है।
हालांकि, शिंदे गुट के नेता राजू वाघमारे ने इस मांग का विरोध किया। उन्होंने कहा, “जब मतदान केंद्रों पर बुर्के की अनुमति है, तो परीक्षा केंद्रों पर इसे पहनने में क्या समस्या हो सकती है?” हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि महायुति सरकार “तुष्टिकरण की राजनीति” को बढ़ावा नहीं देगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और अल्पसंख्यक आयोग का रुख
महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने भी नितेश राणे के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह के बयान सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने भाजपा नेता से ऐसे “गैर-जिम्मेदाराना बयानों” से बचने की अपील की।
इस विवाद में समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी ने भी नितेश राणे के बयान की निंदा की, जबकि भाजपा नेता गणेश नाइक ठाणे में अपना जनाधार मजबूत करने के प्रयास में जुटे हैं, जिससे शिंदे गुट और भाजपा के बीच दरार और बढ़ सकती है।
सत्ता सहयोगियों के बीच बढ़ती दूरियां
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर भाजपा और शिंदे गुट के बीच मौजूदा मतभेदों को उजागर किया है। पहले ही ठाणे में भाजपा अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में है, जिससे शिंदे गुट में असहजता बढ़ रही है। अब बुर्का विवाद इस गठबंधन में नई खटास पैदा करता दिख रहा है।