भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 3-0 की घरेलू टेस्ट सीरीज हारने के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की शुरुआत शानदार तरीके से पर्थ टेस्ट जीतकर की थी। हालांकि, सीरीज का समापन ऑस्ट्रेलिया की 3-1 से जीत के साथ हुआ। भारत के सीनियर बल्लेबाजों के खराब प्रदर्शन ने टीम की हार में अहम भूमिका निभाई। इस बीच, पूर्व क्रिकेटर और युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने भारतीय बल्लेबाजों, विराट कोहली की तकनीकी कमजोरी और कोचिंग की भूमिका को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
विराट कोहली की ऑफ-साइड कमजोरी पर टिप्पणी
विराट कोहली इस सीरीज में अपनी फॉर्म से जूझते नजर आए। उन्होंने 9 पारियों में सिर्फ 190 रन बनाए, जिसमें एक शतक शामिल था। कोहली 8 बार ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों पर स्लिप या विकेटकीपर को कैच थमाकर आउट हुए। इस पर योगराज सिंह ने कहा:
“विराट बार-बार अपनी कमजोरी में फंस रहे थे। कोई कोच या साथी खिलाड़ी उन्हें यह बताने वाला नहीं था कि वह अपने पसंदीदा शॉट—दाएं हाथ से पुश—के कारण आउट हो रहे हैं। यह शॉट भारतीय पिचों और इंग्लैंड में काम करता है, लेकिन उछाल भरी पिचों पर यह नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में किसी को उन्हें समझाना चाहिए था कि यह शॉट मत खेलो या इस गेंद को छोड़ दो।”
रोहित शर्मा और कप्तानी की चुनौतियां
रोहित शर्मा ने अपने दूसरे बच्चे के जन्म के कारण पर्थ टेस्ट नहीं खेला और सीरीज के आखिरी टेस्ट में भी नहीं उतरे। उन्होंने तीन टेस्ट मैचों में केवल 31 रन बनाए। योगराज का मानना है कि खिलाड़ियों को कोचिंग से अधिक सही समय पर मार्गदर्शन और मानसिक समर्थन की जरूरत होती है।
उन्होंने कहा:
“रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे अनुभवी खिलाड़ी भी चाहते हैं कि कोई उन्हें यह बताए कि वे कहां गलती कर रहे हैं। हर खिलाड़ी को अपने करियर में पतन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह कोचिंग स्टाफ और टीम मैनेजमेंट की जिम्मेदारी है कि वे खिलाड़ियों को मानसिक रूप से संभालें और उनके आत्मविश्वास को बनाए रखें।”
कोचिंग बनाम मैनेजमेंट पर योगराज का नजरिया
योगराज ने कोचिंग और मैनेजमेंट के अंतर पर जोर देते हुए कहा:
“जब आप भारत के लिए खेलते हैं, तो कोचिंग की पारंपरिक जरूरतें कम हो जाती हैं। खिलाड़ी को मैन मैनेजमेंट की ज्यादा जरूरत होती है। कोई ऐसा होना चाहिए जो खिलाड़ी की मानसिक स्थिति को समझे और उन्हें प्रेरित करे। तकनीकी गलतियों को पहचानना और उन्हें सुधारने में मदद करना कोच की जिम्मेदारी है, लेकिन खिलाड़ियों के मानसिक अवरोध को दूर करना मैनेजमेंट का काम है।”
गौतम गंभीर की कोचिंग पर टिप्पणी
टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर के बारे में योगराज सिंह ने कहा:
“गंभीर एक शानदार क्रिकेटर रहे हैं और उनका दिमाग तेज है। लेकिन टीम को एकजुट रखने और खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए प्रॉपर मैनेजमेंट बेहद जरूरी है। युवा खिलाड़ियों जैसे सिराज को मार्गदर्शन और समर्थन चाहिए। उन्हें यह बताने वाला होना चाहिए कि खराब दौर हर किसी के जीवन का हिस्सा है और यह जल्द ही खत्म हो जाएगा।”
भारतीय टीम का प्रदर्शन: एक विश्लेषण
- विराट कोहली: 9 पारियों में 190 रन और बार-बार एक ही तरीके से आउट होना।
- रोहित शर्मा: तीन टेस्ट में सिर्फ 31 रन और सिडनी टेस्ट से अनुपस्थित।
- सीरीज का नतीजा: 3-1 से ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में।
- भारतीय गेंदबाजी: जसप्रीत बुमराह और सिराज जैसे खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन टीम को बल्लेबाजों की कमी खली।