मूडीज एनालिटिक्स के अनुसार, रुपये में गिरावट, घटते विदेशी निवेश और अस्थिर मुद्रास्फीति के बीच भारत को वर्ष 2025 में 6.4 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि हासिल करने के लिए अपनी राजकोषीय और मौद्रिक नीति में बदलाव करना होगा।
विश्लेषक फर्म ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2025-26 का बजट, जो 1 फरवरी को आएगा, घरेलू मांग, खासकर निवेश का समर्थन करेगा। साथ ही, राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत से कम रखने का लक्ष्य रखा जाएगा। वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.6 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 4.9 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है।
मूडीज के अर्थशास्त्री की टिप्पणियां
मूडीज एनालिटिक्स में सह-अर्थशास्त्री अदिति रमण ने कहा, “भारत 2025 में मुश्किल हालात का सामना कर रहा है। रुपये में आ रही कमजोरी, घटता विदेशी निवेश और अस्थिर मुद्रास्फीति सबसे बड़े आर्थिक जोखिम हैं। यदि भारत को 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करनी है, तो राजकोषीय और मौद्रिक नीति में बदलाव की आवश्यकता है, जो साल की पहली छमाही में संभव हो सकते हैं।”
2024 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने बताया कि 2024 में भारत एशिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक था, लेकिन पहली तीन तिमाहियों में इसकी जीडीपी वृद्धि में कमी आई है। दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि में तेजी आने से कैलेंडर वर्ष 2024 में कुल मिलाकर 6.8 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। हालांकि, इसकी तुलना 2023 की 7.8 प्रतिशत वृद्धि से की जाए, तो अर्थव्यवस्था की नरमी वर्ष 2025 के लिए सतर्कता का संकेत देती है। ऊंची ब्याज दरों के लंबे समय तक बने रहने से घरेलू मांग कम हो सकती है, और अमेरिका में भारतीय आयातों पर शुल्क बढ़ने से निर्यात के हालात चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।