बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। न्यायाधीश जीए सनाप ने स्पष्ट किया कि किसी लड़की का केवल एक बार पीछा करना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (D) के तहत स्टॉकिंग की श्रेणी में नहीं आता है। यदि कोई व्यक्ति बार-बार पीछा करता है, तो इसे अपराध माना जा सकता है।
इस मामले में, जस्टिस सनाप ने कहा कि केवल एक बार पीछा करने को स्टॉकिंग नहीं कहा जा सकता है, बल्कि इस बात के स्पष्ट सबूत होने चाहिए कि आरोपी ने लड़की का बार-बार पीछा किया है। आरोप था कि जनवरी 2020 में आरोपी ने लड़की का पीछा किया और शादी की इच्छा व्यक्त की, जिस पर लड़की ने साफ इनकार कर दिया। इसके बावजूद, आरोपी ने लड़की को परेशान करना जारी रखा, और लड़की की मां ने भी आरोपी के परिवार से बातचीत की थी।
आरोप के अनुसार, 26 अगस्त 2020 को आरोपी ने लड़की के घर में घुसकर उसके साथ छेड़छाड़ की, जबकि एक अन्य आरोपी घर के बाहर पहरा देता रहा। ट्रायल कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर कई धाराएं लगाईं, जिनमें पॉक्सो एक्ट, यौन उत्पीड़न, और घर में जबरन घुसकर उपद्रव करने की धाराएं शामिल थीं।
हाई कोर्ट ने आरोपी की याचिका पर सुनवाई के दौरान उसे स्टॉकिंग के आरोप से मुक्त कर दिया, लेकिन स्पष्ट किया कि उसे सभी आरोपों से बरी नहीं किया गया। साथी आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। न्यायाधीश ने अन्य अपराधों की सजा को बनाए रखा। ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को तीन से सात साल तक कठोर कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके बाद आरोपियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाई कोर्ट ने आईपीसी की धारा 354 ए के तहत यौन उत्पीड़न और पॉक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत मुख्य आरोपी की सजा को बरकरार रखा है, लेकिन सजा में संशोधन करते हुए आरोपी की उम्र और हिरासत में बिताए गए ढाई वर्षों को ध्यान में रखा गया है।