बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 में ऑस्ट्रेलिया ने 3-1 से जीत हासिल की, लेकिन प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने अपने नाम किया। बुमराह ने इस सीरीज में 32 विकेट चटकाए और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के लिए मुसीबत बन गए। हालाँकि, सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए अंतिम टेस्ट में वह चोट के कारण दूसरी पारी में गेंदबाजी नहीं कर पाए, जिसे लेकर पूर्व क्रिकेटर बलविंदर संधू ने चिंता व्यक्त की है।
1983 में भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संधू ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, “वर्कलोड? उसने कितने ओवर गेंदबाजी की? करीब 150 ओवर, सही है न? लेकिन उसने कितनी पारियों में गेंदबाजी की? पांच मैचों में 9 पारियों में, यही सही है। ऐसे देखें तो करीब 16 ओवर प्रति पारी या 30 ओवर प्रति मैच। वह लगातार गेंदबाजी नहीं कर रहा था, बल्कि अलग-अलग स्पैल में गेंदबाजी कर रहा था। वर्कलोड मैनेजमेंट एक बकवास अवधारणा है, यह ऑस्ट्रेलियाई शब्द है, और यह उनके द्वारा बनाई गई एक भ्रम है। मुझे यह बेकार की बात लगती है।”
संधू ने आगे कहा, “मैं ऐसे समय में खेल चुका हूं जहां क्रिकेटर्स अपने शरीर को सुनते थे, कोई और नहीं। एक दिन में 15 ओवर करना और वह भी अलग-अलग स्पैल में, यह किसी गेंदबाज के लिए बड़ी बात नहीं है। बुमराह ने तीन-चार स्पैल में गेंदबाजी की। आजकल खिलाड़ियों के पास बेहतरीन फीजियो, मालिश करने वाले और डॉक्टर्स होते हैं, जो उनके शरीर का पूरा ध्यान रखते हैं। अगर कोई गेंदबाज एक पारी में 20 ओवर भी नहीं फेंक पा रहा, तो उसे भारत के लिए खेलने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। हम लोग 25-30 ओवर गेंदबाजी करते थे। कपिल देव ने अपने पूरे करियर में लंबे स्पैल में गेंदबाजी की। गेंदबाजी करने से मसल्स मजबूत होती हैं, इसलिए मुझे वर्कलोड मैनेजमेंट का यह कॉन्सेप्ट समझ नहीं आता।”