अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बीच पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगियों के रुख ने शरीफ सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। वहीं, इमरान खान की रिहाई को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव और बाइडेन प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों ने पाकिस्तान के लिए स्थिति और जटिल कर दी है।
इमरान खान की रिहाई पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन
पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से देश में राजनीतिक अस्थिरता गहराती जा रही है। अब यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी जोर पकड़ रहा है।
- डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगी रिचर्ड ग्रेनेल और ब्रिटिश सांसद जॉर्ज गैलवे जैसे प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने इमरान खान की रिहाई की मांग तेज कर दी है।
- जेरेमी कॉर्बिन, जो ब्रिटेन की विपक्षी राजनीति में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं, ने भी इमरान खान का समर्थन किया है।
इन दबावों के जवाब में, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा:
“हम अमेरिका के साथ परस्पर सम्मान और हस्तक्षेप से परे रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान घरेलू मामलों में बाहरी हस्तक्षेप नहीं चाहता, लेकिन आपसी संवाद जारी रहेगा।
बढ़ते दबाव से शरीफ सरकार की मुश्किलें
इमरान खान की पार्टी पीटीआई के विरोध प्रदर्शनों और अंतरराष्ट्रीय दबाव ने शरीफ सरकार को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है।
- वैश्विक हस्तियों की टिप्पणियां और इमरान समर्थकों के प्रदर्शन से स्थिति सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गई है।
- शरीफ सरकार के लिए यह संकट घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बनाए रखने की चुनौती पेश कर रहा है।
मिसाइल डील पर बाइडेन प्रशासन का कड़ा रुख
बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम पर सख्त कदम उठाए हैं।
- पाकिस्तान की 12,000 किमी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पर चिंता जताते हुए, चार प्रमुख पाकिस्तानी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- अमेरिका का मानना है कि यह मिसाइल वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती है।
पाकिस्तान का दावा:
- पाकिस्तानी विशेषज्ञों ने दावा किया है कि यह मिसाइल अमेरिका को निशाना नहीं बना सकती, लेकिन भारत के हर शहर को लक्ष्य बना सकती है।
- प्रतिबंधों का एक और कारण पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों को लेकर अमेरिका की नाराजगी है।
चीन-पाकिस्तान रक्षा साझेदारी पर विवाद
पाकिस्तान और चीन के रक्षा संबंध लंबे समय से विवादों में हैं।
- 1998 में, अमेरिकी टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें पाकिस्तान के कब्जे में आई थीं, जो बाद में चीन को सौंप दी गईं।
- चीन ने इन्हीं तकनीकों का उपयोग कर डीएच-10 मिसाइल विकसित की, जिसे पाकिस्तान में ‘बाबर’ मिसाइल के रूप में शामिल किया गया।
यह साझेदारी अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय रही है, और इसे चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
शरीफ सरकार के सामने चुनौतियां
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ही पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ चुका है।
- इमरान खान की रिहाई की मांग ने शरीफ सरकार की राजनीतिक स्थिरता को कमजोर किया है।
- बाइडेन प्रशासन द्वारा मिसाइल डील रद्द करने और प्रतिबंध लगाने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और रक्षा नीति पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।