कनाडा की एक रिपोर्ट ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनमें उन्होंने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि इस हत्याकांड का किसी अन्य देश से कोई ठोस संबंध नहीं है।
इसके अलावा, मंगलवार को भारत ने कनाडा में चुनावी हस्तक्षेप के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया और ओटावा की भारत के आंतरिक मामलों में लगातार दखलअंदाजी की आलोचना की।
रिपोर्ट में क्या कहा गया?
कनाडा के एक संघीय आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि यह साबित नहीं हुआ है कि निज्जर की हत्या में किसी अन्य देश की संलिप्तता है। रिपोर्ट ने प्रधानमंत्री ट्रूडो के उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिनमें उन्होंने भारतीय एजेंटों पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का दावा किया था।
सितंबर 2023 में, ट्रूडो ने कहा था कि कनाडा के पास विश्वसनीय सबूत हैं कि जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में हुई निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल थे। हालांकि, अब आई इस रिपोर्ट ने उनके दावों को कमजोर कर दिया है।
चुनावी हस्तक्षेप के आरोपों पर भारत की प्रतिक्रिया
कनाडा के ‘संघीय चुनाव प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच’ शीर्षक वाली रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई। इसमें कहा गया कि कनाडा में 2019 और 2021 के चुनावों में भारत सरकार पर गुप्त रूप से तीन राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता देने के लिए प्रॉक्सी एजेंटों का उपयोग करने का संदेह है।
हालांकि, भारत ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए कनाडा पर भारत के आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा,
“हमने कथित हस्तक्षेप पर रिपोर्ट देखी है। वास्तव में, कनाडा ही भारत के आंतरिक मामलों में लगातार दखल देता आया है।”
“इसके अलावा, कनाडा ने अवैध प्रवासन और संगठित आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का माहौल बनाया है। हम भारत पर लगाए गए आरोपों को अस्वीकार करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवासन को सक्षम करने वाली सहायता प्रणाली को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
भारतीय और कनाडाई राजनयिकों का निष्कासन
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अक्टूबर 2024 में कनाडा ने छह भारतीय राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों को निष्कासित कर दिया था। इसके जवाब में भारत ने भी छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया था।
क्या आगे होगा?
इस रिपोर्ट के आने के बाद भारत-कनाडा संबंधों में तनाव और बढ़ सकता है। ट्रूडो सरकार के लिए यह रिपोर्ट एक बड़ा झटका है, क्योंकि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पर सीधे आरोप लगाए थे। वहीं, भारत लगातार इस मामले में कनाडा पर खालिस्तानी उग्रवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है।
अब देखना होगा कि इस रिपोर्ट के बाद कनाडा की सरकार अपने रुख में बदलाव करती है या नहीं।