Thursday , December 19 2024

निखिल आडवाणी ने हेयर और मेकअप आर्टिस्ट्स के चुनाव पर साझा किया दिलचस्प किस्सा

Nikhil Advani 1734508165423 1734 (1)

फिल्ममेकर निखिल आडवाणी ने हाल ही में हेयर और मेकअप आर्टिस्ट्स के बीच भूमिका विभाजन से जुड़ी एक दिलचस्प और चर्चा योग्य बात साझा की। एक पैनल डिस्कशन के दौरान उन्होंने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में आमतौर पर हेयरस्टाइलिंग के लिए महिलाओं को (हेयर दीदी) और मेकअप के लिए पुरुषों को (मेकअप दादा) क्यों नियुक्त किया जाता है।

पैनल डिस्कशन में हुआ खुलासा

यह घटना अमेज़न प्राइम के ‘ओ वुमनिया राउंडटेबल’ से जुड़ी है, जिसमें ऋचा चड्ढा, अनन्या पांडे, और अनुपमा चोपड़ा समेत कई फिल्मी हस्तियां मौजूद थीं। इस पैनल में महिलाओं और पुरुषों के बीच काम के अवसरों में असमानता और इंडस्ट्री में उनके अनुभवों पर चर्चा हो रही थी।

निखिल आडवाणी ने इस दौरान बताया कि फिल्म यूनियन द्वारा हेयर और मेकअप आर्टिस्ट्स की नियुक्ति में स्पष्ट विभाजन क्यों किया गया है। उन्होंने कहा, “हेयर के लिए महिलाओं को इसलिए रखा जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि महिलाओं के बालों को पुरुषों द्वारा छूने से अनचाही उत्तेजना पैदा हो सकती है। दूसरी ओर, मेकअप में पुरुषों को इसलिए प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि उन्हें अधिक अनुभवी माना जाता है।”

हेयर दीदी और मेकअप दादा की परंपरा

निखिल ने यूनियन के नियमों के पीछे तर्क को साझा करते हुए कहा, “बालों के लिए ‘दीदी’ इसलिए होती हैं क्योंकि महिला आर्टिस्ट्स के बालों को पुरुषों के छूने से असहजता या सेक्सुअल उत्तेजना महसूस हो सकती है। वहीं, मेकअप के लिए ‘दादा’ होते हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में आमतौर पर चेहरे और पीठ जैसे क्षेत्रों को छूना शामिल होता है, जिसे पुरुष अधिक आराम से करते हैं।”

इस पर ऋचा चड्ढा ने मजाकिया अंदाज में सवाल किया, “आपको यह कैसे पता?” इस पर निखिल ने जवाब दिया, “अगर कोई महिला आपके बालों को छूती है, तो आप उत्तेजित नहीं होंगी। यह एक साधारण सा लॉजिक है।”

महिलाओं के लिए नए अवसर

पैनल में चर्चा के दौरान यह भी बात सामने आई कि अब महिलाओं को हेयर, मेकअप और वार्डरोब के अलावा अन्य तकनीकी और प्रोडक्शन से जुड़े क्षेत्रों में भी काम के अधिक अवसर मिल रहे हैं। हालांकि, यह भी स्वीकार किया गया कि अभी भी इंडस्ट्री में लिंग आधारित पूर्वाग्रह मौजूद हैं।

क्या कहता है यह तर्क?

निखिल आडवाणी का बयान इंडस्ट्री की परंपराओं और नियमों की एक झलक दिखाता है। यह तर्क भले ही वर्षों पुरानी यूनियन पॉलिसीज पर आधारित हो, लेकिन यह आज के समय में महिलाओं और पुरुषों के बीच असमानता और कार्य विभाजन पर सवाल खड़े करता है।


चर्चा और विवाद

निखिल आडवाणी का यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोग इसे इंडस्ट्री की पुरानी सोच मानते हैं, तो कुछ इसे वास्तविक अनुभव और काम के माहौल से जोड़कर देखते हैं।