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नाबालिग को विदेश में बेचने के प्रयास के दोषी को छह साल सश्रम कारावास की सजा

अररिया, 08 अप्रैल(हि.स.)। भारत से नेपाल में नाबालिग बच्चे को बेचने के लिए ले जाने के क्रम में 2019 में एसएसबी की ओर से पकड़े गए मानव व्यापार के दलाल ट्रेफेकर को अररिया अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ रवि कुमार के अदालत ने सोमवार को छह साल की सश्रम कारावास और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

अपने फैसले में कोर्ट ने जुर्माने की रकम अदा नहीं करने पर दोषी को तीन महीने की अतिरिक्त सजा भुगतने का भी आदेश दिया है। न्यायालय ने दोषी को भारतीय दण्ड विधान की धारा 365 के तहत दोषी पाते हुए सजा सुनाई।न्यायालय ने यह फैसला सत्र वाद संख्या – 20/2020 में दोषी को सजा सुनाई।

मामला जोगबनी थाना में दर्ज ममाले से संबंधित है। सजा पाने वाला दोषी 39 वर्षीय अमरेश पाण्डे पिता – स्वर्गीय उमा शंकर पाण्डे मुजफ्फरपुर के पारुल थाना क्षेत्र के फतेहाबाद का रहने वाला है।

मानव व्यापार से जुड़ा यह मामला जोगबनी एसएसबी के उपनिरीक्षक सत्येंद्र यादव के द्वारा दर्ज कराई गई थी,जिन्हें आम सूचना के साथ साथ भारत नेपाल सीमा क्षेत्र में मानव व्यापार को लेकर काम कर रही एक चेरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा सूचना दी गई थी,जिस आलोक में भारत-नेपाल सीमा पर 28 जून 2019 के रात्रि 9 बजे मानव व्यापार को लेकर एक व्यक्ति बच्चे को लेकर नेपाल की ओर तेजी से ले जा रहा था।शक और सूचना के आधार पर एसएसबी वालो ने दोषी को नाबालिग बच्चे के साथ रंगेहाथ पकड़ कर पूछताछ की तो मानव व्यापार का मामला सामने आया था।

पकड़ा गया व्यक्ति अमरेश पाण्डे नाबालिग बच्चे को बेचने के लिए नेपाल ले जा रहा था। नाबालिग बच्चे से पूछताछ के क्रम में उन्होंने बताया था कि अमरेश पाण्डे उसे उसके मृत पिता से भेंट करवाने के नाम पर ले जा रहा था।जबकि आरोपी अमरेश पाण्डे ने एसएसबी और पुलिस को सच्चाई बता दी।जिसमे बारह साल का नाबालिग बच्चा शशिरंजन को नेपाल बेचने ले जाया जा रहा था ।

सजा के बिंदु पर बचाव पक्ष की ओर से संगीता कुमारी ने कम से कम सजा सुनाई जाने की गुहार लगाई। जबकि अपर लोक अभियोजक प्रभा कुमारी ने विधि सम्मत सजा सुनाई जाने की दलीलें दी।जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया।