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दिल्ली में धार्मिक स्थलों को लेकर सियासी तकरार, एलजी ने आतिशी पर लगाया “घटिया राजनीति” का आरोप

Lg Vk Saxena And Chief Minister

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक माहौल गरम है। मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को धार्मिक स्थलों को तोड़े जाने से बचाने के लिए लिखे गए पत्र पर सियासी बहस छिड़ गई है। उपराज्यपाल ने न सिर्फ इन आरोपों का खंडन किया, बल्कि मुख्यमंत्री पर “ओछी राजनीति” करने का आरोप भी लगाया।

क्या कहा उपराज्यपाल कार्यालय ने?

उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के सचिवालय ने धार्मिक स्थलों को तोड़े जाने के आरोपों को सिरे से खारिज किया।

  • आरोपों का खंडन: सचिवालय ने स्पष्ट किया कि न तो कोई मंदिर, मस्जिद, चर्च, या अन्य पूजा स्थल तोड़ा जा रहा है और न ही इस संबंध में कोई फाइल एलजी कार्यालय में पहुंची है।
  • सख्ती के निर्देश: एलजी ने पुलिस को निर्देश दिया है कि ऐसी किसी भी शरारतपूर्ण गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखें, जिससे राजनीतिक लाभ के लिए सांप्रदायिक तनाव फैल सकता हो।
  • शांति व्यवस्था पर जोर: उन्होंने कहा कि क्रिसमस के हालिया समारोहों के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, जो प्रशासन की सख्ती का प्रमाण है।

आतिशी का पत्र: क्या हैं आरोप?

मुख्यमंत्री आतिशी ने एलजी को लिखे पत्र में कहा कि 22 नवंबर को धार्मिक समिति की बैठक में दिल्ली के विभिन्न इलाकों में धार्मिक ढांचों को गिराने के आदेश दिए गए।

  • उपराज्यपाल की भूमिका: आतिशी ने आरोप लगाया कि धार्मिक स्थलों से संबंधित सभी निर्णय अब एलजी कार्यालय द्वारा लिए जा रहे हैं।
  • धार्मिक भावनाओं की दुहाई: उन्होंने लिखा कि इस तरह के कदम से स्थानीय समुदायों की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी।
  • गृह विभाग पर सवाल: आतिशी ने कहा कि गृह विभाग बिना मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री को जानकारी दिए सीधे एलजी कार्यालय को सूचित कर रहा है।

एलजी का पलटवार: “घटिया राजनीति” का आरोप

एलजी सचिवालय ने आतिशी के आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।

  • राजनीतिक ध्यान भटकाने का आरोप: एलजी ने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी और पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे मुद्दे उठा रही हैं।
  • जनता को गुमराह करने का आरोप: सचिवालय ने इसे “ओछी राजनीति” करार देते हुए कहा कि यह केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।

एलजी और आतिशी के बीच पुरानी तकरार

यह पहली बार नहीं है जब एलजी और आप सरकार के बीच टकराव देखने को मिला हो।

  • अस्थायी मुख्यमंत्री पर विवाद: सोमवार को एलजी ने एक पत्र में अरविंद केजरीवाल द्वारा आतिशी को “अस्थायी मुख्यमंत्री” कहने पर आपत्ति जताई थी।
  • एलजी का आहत होना: उन्होंने इसे राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में अपने अपमान के रूप में देखा और कड़ी नाराजगी व्यक्त की।

राजनीतिक प्रभाव और निष्कर्ष

धार्मिक स्थलों को लेकर यह विवाद चुनावी राजनीति का अहम मुद्दा बन सकता है।

  • आप की रणनीति: मुख्यमंत्री आतिशी धार्मिक भावनाओं को साधकर भाजपा और एलजी पर हमला करने की कोशिश कर रही हैं।
  • एलजी का रुख: उपराज्यपाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासन की प्राथमिकता शांति और व्यवस्था बनाए रखना है।
  • राजनीतिक निहितार्थ: यह तकरार आने वाले चुनावों में धार्मिक और प्रशासनिक मुद्दों को चर्चा के केंद्र में ला सकती है।

दिल्ली की राजनीति में यह नई खींचतान आने वाले दिनों में और तीव्र हो सकती है, जहां हर पक्ष अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दांव लगाएगा।