Tuesday , May 14 2024

घर की इस दिशा में कभी न रखें ये चीजें, बनेगा वास्तु दोष और होगी धन की बर्बादी

वास्तु टिप्स : वास्तु शास्त्र में दिशाओं पर विशेष जोर दिया गया है। प्रत्येक दिशा का अलग-अलग स्वामी होता है। घर को वास्तु दोष से मुक्त रखने के लिए निर्देशों का पालन करना जरूरी है। किसी भी दिशा में कोई सामान नहीं रखा जा सकता.

वास्तु शास्त्र में दिशाओं पर विशेष जोर दिया गया है। प्रत्येक दिशा का अलग-अलग स्वामी होता है। घर को वास्तु दोष से मुक्त रखने के लिए निर्देशों का पालन करना जरूरी है। किसी भी दिशा में कोई सामान नहीं रखा जा सकता. हर चीज़ की एक निश्चित दिशा होती है. इसी तरह घर की उत्तर दिशा के स्वामी धन के देवता कुबेर हैं। इसी वजह से लोग उत्तरमुखी घर बनाने पर जोर देते हैं।

वास्तु विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर घर की उत्तर दिशा में कोई वास्तु दोष न हो तो घर में धन की वृद्धि होती है। साथ ही अगर इस दिशा में वास्तु दोष हो तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं उत्तर दिशा से जुड़े नियम।

उत्तर दिशा का वास्तु दोष

वास्तु विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यदि उत्तरमुखी घर का दरवाजा पूर्व दिशा की बजाय पश्चिम दिशा में हो तो उस घर के लोग अधिक समय तक स्थिर नहीं रह पाते। ऐसे में गृह स्वामी का अधिक समय घर से बाहर पैसों के लिए व्यतीत होता है।

उत्तर-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार के पास पानी की टंकी या बोरिंग वास्तु दोष का कारण बनता है। ऐसे घर में रहने वाली महिलाएं चंचल मन की होती हैं और घर पर कम समय बिताती हैं। साथ ही घर में चोरी होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

ऐसा माना जाता है कि उत्तरमुखी भूमि पर बने घर में पश्चिम दिशा को कभी खाली न छोड़ें। जिसके कारण पुरुषों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।

उत्तरमुखी घर से जुड़ी और भी खास बातें

ऐसा माना जाता है कि उत्तर दिशा घर के केंद्र से नीचे की ओर होनी चाहिए। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।घर की उत्तर दिशा में पूजा घर या अतिथि कक्ष बनाना शुभ माना जाता है। इस दिशा में रसोईघर बनाने से घर में शांति और सद्भाव बना रहता है।

ऐसा माना जाता है कि घर की उत्तर दिशा की दीवार में न तो दरार होनी चाहिए और न ही दरार, इससे परिवार के सदस्यों के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं।

भूमिगत पानी की टंकी सदैव पूर्व-उत्तर दिशा में बनायें। इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।उत्तर दिशा को भूलकर भूलकर भी स्नानघर या शौचालय न बनाएं।