क्रिसमस और न्यू ईयर के जश्न से पहले गोवा में बीफ संकट गहराता जा रहा है।
इसकी वजह कथित गौरक्षकों के हमलों का भय है, जिससे बीफ विक्रेता परेशान हैं।
रविवार को दक्षिण गोवा के मडगांव में हुए विवाद के बाद, मांस आपूर्तिकर्ताओं ने अपनी दुकानें बंद कर दी हैं।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का बयान: सख्त कार्रवाई की चेतावनी
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सोमवार को स्पष्ट संदेश दिया कि:
- कानून को हाथ में लेने वालों पर कार्रवाई:
- “जो लोग भी कानून को हाथ में लेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
- स्वच्छ बीफ की आपूर्ति जारी:
- उन्होंने कहा कि सरकार के अधीन संचालित गोवा मीट कॉम्प्लेक्स के माध्यम से स्वच्छ बीफ की आपूर्ति जारी रहेगी।
“मैं स्वच्छ मांस शब्द पर जोर देता हूं।”
रविवार को मडगांव में विवाद: गौरक्षकों का हस्तक्षेप
- घटना का विवरण:
- रविवार सुबह गौरक्षकों के एक समूह ने मडगांव में बीफ बाजार में गोमांस की खेपों की जांच की मांग की।
- इससे मांस व्यापारियों और गौरक्षकों के बीच तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई।
- पुलिस हस्तक्षेप:
- फातोर्दा पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतें दर्ज कीं।
- परिणाम:
- बीफ विक्रेताओं ने सोमवार को विरोध स्वरूप दुकानें बंद कर दीं।
क्रिसमस से पहले संकट: मांग और सुरक्षा की चिंता
- बीफ की उच्च मांग:
- क्रिसमस और न्यू ईयर के दौरान गोवा में बीफ की मांग सबसे ज्यादा होती है।
- गोवा में प्रतिदिन लगभग 20 टन गोमांस की खपत होती है।
- विक्रेताओं की सुरक्षा की मांग:
- मांस विक्रेता प्रशासन से सुरक्षा की अपील कर रहे हैं।
कांग्रेस का विरोध: गौरक्षकों पर गंभीर आरोप
कांग्रेस विधायक कार्लोस फेरेरा ने इस घटना की कड़ी निंदा की।
- अवैध जांच का आरोप:
- उन्होंने कहा,
“गौरक्षकों के पास कानूनी अधिकार नहीं हैं, फिर भी वे दुकानों और घरों में जाकर मांस की जांच कर रहे हैं।”
- उन्होंने कहा,
- अतिक्रमण का आरोप:
- “वे किसी मान्यता प्राप्त पशु कल्याण निकाय से संबंधित नहीं हैं। उनके पास नमूने एकत्र करने और जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। यह पूरी तरह से अवैध है।”
गोवा का सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भ
- गोवा में बीफ की खपत:
- बीफ का उपयोग गोवा की खाद्य संस्कृति का हिस्सा है।
- इसे 26% कैथोलिक आबादी, 11% मुस्लिम आबादी, और पर्यटक प्रमुख रूप से उपभोग करते हैं।
- संवेदनशील समय:
- क्रिसमस जैसे त्योहार के समय, जब बीफ की मांग सबसे अधिक होती है, इस विवाद ने विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को असमंजस में डाल दिया है।