भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट को हमेशा से एक बहादुर और खूंखार रेजिमेंट माना जाता है, जिसमें नेपाल के गोरखाओं की बड़ी संख्या शामिल रही है। इनका इतिहास 200 वर्षों से भी पुराना है। हालाँकि, हाल के वर्षों में नेपाल की सरकार ने अपने गोरखाओं की भारतीय सेना में भर्ती पर रोक लगा दी है। अब नेपाल के युवा गोरखा भारतीय सेना का हिस्सा बनने के लिए बेकरार हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि यह रास्ता कब खुल पाएगा।
अग्निपथ योजना का प्रभाव
भारत सरकार द्वारा अग्निपथ योजना शुरू करने के बाद से नेपाल की सरकार ने अपने युवाओं की भर्ती पर रोक लगाई है। यदि नए भर्ती कार्यक्रम शुरू नहीं हुए, तो अगले 10 वर्षों में गोरखा रेजिमेंट में नेपाल का एक भी गोरखा नहीं बचेगा। यह भी ध्यान देने योग्य है कि नेपाल के गोरखाओं पर चीन की नजर भी है।
गोरखाओं की भर्ती का इतिहास
नेपाल के गोरखाओं की भारतीय सेना, ब्रिटिश सेना और सिंगापुर पुलिस में हमेशा से भारी संख्या में भर्ती होती रही है। नेपाल की सेना में वेतन कम होने के कारण, वहां के युवा विदेशी सेनाओं का हिस्सा बनने का सपना देखते हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान भी नेपाली सैनिक भारतीय सेना में तैनात रहे हैं, और कारगिल युद्ध में नेपाली गोरखाओं ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया।
भर्ती पर रोक के बाद के हालात
अग्निपथ योजना के बाद नेपाल की सरकार ने भारतीय सेना की भर्ती रैली में नेपाली युवाओं के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया। अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेपाली युवा शिशिर भट्टारी ने बताया कि वह भारतीय सेना में शामिल होना चाहता था, लेकिन अब वह ब्रिटिश सेना में भर्ती की तैयारी कर रहा है। उसने कहा कि उसके पूर्वज भी भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं।
गोरखाओं की स्थिति
गोरखाओं को दुनिया के सबसे साहसी योद्धाओं में से एक माना जाता है। वर्तमान में भारतीय सेना में 32,000 से अधिक गोरखा सेवा दे रहे हैं। यदि नेपाल की सरकार ने भर्ती पर रोक नहीं लगाई होती, तो हर साल 1,300 से 1,500 नेपाली युवाओं की भर्ती होती। हर साल लगभग 20,000 गोरखा ब्रिटिश सेना के लिए आवेदन करते हैं, जिनमें से केवल 200 से 300 की ही भर्ती होती है।
इसके अलावा, सिंगापुर पुलिस में भी 2,000 गोरखा शामिल हैं। हर साल सिंगापुर में 150 से 200 युवाओं की भर्ती होती है। भारतीय सेना में भर्ती पर रोक और सीमित ब्रिटिश भर्ती के कारण, कई युवा अब रूस की सेना में भर्ती होने का विकल्प चुन रहे हैं, हालाँकि नेपाल और रूस के बीच कोई सैन्य भर्ती समझौता नहीं है।