बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (बीजीटी) के चार मुकाबले खेले जा चुके हैं, और सीरीज का आखिरी मैच 3 जनवरी से सिडनी में खेला जाना है। फिलहाल सीरीज में ऑस्ट्रेलिया 2-1 से आगे है। टीम इंडिया ने पहला टेस्ट मैच जीता था, लेकिन अगले तीन में से दो मैच हार गई, जबकि एक ड्रॉ रहा।
इसी बीच, एक बड़ी रिपोर्ट सामने आई है जिसमें दावा किया गया है कि भारतीय टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने चेतेश्वर पुजारा को टीम में शामिल करने की मांग की थी। हालांकि, चयनकर्ताओं ने उनकी इस मांग को नजरअंदाज कर दिया। पुजारा, जो ओवल में 2023 के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के बाद से टीम से बाहर हैं, मौजूदा सीरीज में कमेंट्री करते हुए नजर आए।
मेलबर्न टेस्ट के बाद बढ़ा तनाव
मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट में हार के बाद भारतीय ड्रेसिंग रूम का माहौल तनावपूर्ण हो गया। कोच गौतम गंभीर ने टीम के खराब प्रदर्शन पर नाराजगी जाहिर की और खिलाड़ियों के प्रदर्शन की कठोर समीक्षा की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गंभीर ने कहा कि भारतीय शीर्ष क्रम के असफल होने के बावजूद चेतेश्वर पुजारा जैसे अनुभवी खिलाड़ी को नजरअंदाज करना बड़ी चूक साबित हो सकता है।
पुजारा का प्रदर्शन और महत्व
चेतेश्वर पुजारा, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया में 11 टेस्ट मैचों में 47.28 की औसत से 993 रन बनाए हैं, बीजीटी की पिछली दो सीरीज में भारत की जीत के प्रमुख कारण थे। 2018-19 की सीरीज में उन्होंने 1258 गेंदों पर 521 रन बनाए थे। 2020-21 की सीरीज में भी वह 928 गेंदों पर 271 रन बनाकर भारतीय बल्लेबाजी क्रम की रीढ़ बने थे।
रणजी में धमाकेदार फॉर्म
हाल ही में रणजी ट्रॉफी में, पुजारा ने राजकोट में छत्तीसगढ़ के खिलाफ दोहरा शतक लगाकर अपनी फॉर्म का प्रदर्शन किया। यह उनका 18वां प्रथम श्रेणी दोहरा शतक था, जिससे वह इस सूची में केवल डॉन ब्रैडमैन, वैली हैमंड, और पैट्सी हेंड्रेन से पीछे हैं।
क्या पुजारा की कमी ने बढ़ाई मुश्किलें?
ऑस्ट्रेलियाई पेसर जोश हेजलवुड ने भी पुजारा की प्रशंसा करते हुए कहा था कि उनकी अनुपस्थिति भारतीय बल्लेबाजी क्रम को कमजोर कर सकती है। गंभीर ने चयनकर्ताओं के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुजारा जैसे अनुभवी खिलाड़ी से टीम को फायदा हो सकता था।
अब सवाल यह है कि क्या पुजारा को नजरअंदाज करना भारतीय टीम को भारी पड़ेगा? सीरीज का आखिरी मुकाबला इस चर्चा को नई दिशा दे सकता है।