अगर एक महीने तक गेहूं के आटे की रोटी न खाएं तो क्या होगा: हमारा स्वास्थ्य कैसा रहेगा यह हमारी दैनिक जीवनशैली और खान-पान की आदतों से तय होता है। भारत समेत पूरी दुनिया में गेहूं के आटे का सेवन बड़ी मात्रा में किया जाता है। रोटी और इससे बनी ब्रेड हमारे खाने का अहम हिस्सा है, इसलिए हम चाहकर भी इसे छोड़ नहीं सकते। हालांकि, यह आटा सेहत के लिए उतना अच्छा नहीं माना जाता है, जिससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि अगर एक महीने तक गेहूं का आटा न खाया जाए तो क्या स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं? आइए जानते हैं न्यूट्रिशनिस्ट निखिल वत्स से।
गेहूं का आटा छोड़ने के फायदे
1. आपका वजन कम हो जाएगा
गेहूं के आटे में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी भरपूर मात्रा में होता है, जो वजन बढ़ाने में मदद करता है। अगर आप एक महीने तक गेहूं का आटा नहीं खाते हैं, तो आपका वजन कम हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपनी डाइट से गेहूं के आटे को पूरी तरह से हटा दें। अक्सर लोग गेहूं से दूर रहते हैं जिनका उद्देश्य पेट और कमर की चर्बी को जल्दी कम करना होता है।
2. पाचन में सुधार
आपने कई बार देखा होगा कि जो लोग अधिक मात्रा में गेहूं की रोटियां खाते हैं, उन्हें कब्ज, अपच और गैस समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दरअसल, चावल की तुलना में इसे पचने में अधिक समय लगता है, इसलिए आपको ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप लंबे समय तक गेहूं के आटे से दूर रहेंगे, तो पाचन क्रिया जरूर बेहतर होगी। आप रोटियों की जगह गेहूं का दलिया खा सकते हैं, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।
गेहूं का आटा छोड़ने के नुकसान:
एक महीने तक गेहूं का आटा न खाने से आपकी सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसमें फॉस्फेट पाया जाता है जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और तनाव दूर करने में मदद करता है, हालांकि आपको डाइटीशियन से यह तय करना चाहिए कि आपकी सेहत के लिए कितनी रोटियां सही हैं।
गेहूँ का विकल्प क्या है?
अगर आप गेहूं की रोटियां नहीं खाना चाहते तो आप मल्टीग्रेन आटे का इस्तेमाल कर सकते हैं जो सेहत के लिए काफी बेहतर है। आप घर पर जौ, बाजरा और रागी के आटे की रोटियां बना सकते हैं।