संज्ञानात्मक गिरावट: आपने अक्सर महसूस किया होगा कि आपके घर के बुजुर्गों को याददाश्त खोने जैसी समस्या है, जो जीवन में काफी परेशानी का कारण बनती है। डॉ. अभिनव अग्रहरि, एसोसिएट कंसल्टेंट (न्यूरो सर्जरी), फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला, नई दिल्ली ने बताया कि हाल ही में एक 68 वर्षीय महिला अपने बेटे के साथ इलाज के लिए उनके पास आई थी। उसे बातचीत याद रखने में परेशानी हो रही थी, चीजें याद नहीं रहती थीं और चिंता में वह दीवारों को घूरते हुए खड़ी रहने लगी थी। यह स्थिति भारत में तेजी से आम होती जा रही है, जहां 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के 14 करोड़ से अधिक लोग हैं। अनुमान है कि 2050 तक यह संख्या बढ़कर 31 करोड़ हो जाएगी, जो कुल आबादी का लगभग 20% होगा। हल्की समस्याओं से लेकर मनोभ्रंश जैसी गंभीर स्थितियों तक, संज्ञानात्मक गिरावट एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है।
संज्ञानात्मक गिरावट क्या है?
संज्ञानात्मक गिरावट स्मृति, सोचने की क्षमता और दैनिक गतिविधियों को करने की क्षमता का क्रमिक नुकसान है। हालाँकि उम्र के साथ कुछ गिरावट सामान्य है, लेकिन गंभीर हानि स्वतंत्रता और जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
संज्ञानात्मक गिरावट के जोखिम कारक
उम्र, खास तौर पर 65 के बाद, जोखिम को बढ़ाती है। आनुवंशिकी और पारिवारिक इतिहास संज्ञानात्मक गिरावट की शुरुआत को तेज कर सकते हैं। उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियाँ, साथ ही स्ट्रोक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। आहार, शारीरिक निष्क्रियता, धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन और सामाजिक अलगाव जैसे जीवनशैली कारक भी इसमें योगदान करते हैं।
संज्ञात्मक गिरावट के संकेत
संज्ञानात्मक गिरावट का जल्दी पता लगाना महत्वपूर्ण है। लक्षणों में स्मृति हानि, भ्रम, समय या स्थान की समस्या, बोलने या लिखने में परेशानी, साथ ही मूड और व्यक्तित्व में बदलाव शामिल हैं।
अपनी सुरक्षा कैसे करें?
कुछ आवश्यक उपायों और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर संज्ञानात्मक गिरावट के जोखिम को कम किया जा सकता है।
1. स्वस्थ आहार: फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर आहार खाएं।
2. नियमित व्यायाम: मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ाता है और संज्ञानात्मक गिरावट को धीमा करता है।
3. मानसिक उत्तेजना: पढ़ना, पहेलियाँ सुलझाना, क्रॉसवर्ड, सुडोकू, तथा संगीत वाद्ययंत्र जैसे नए कौशल सीखने जैसी गतिविधियाँ करें।
4. सामाजिक जुड़ाव: मजबूत सामाजिक संबंध संज्ञानात्मक गिरावट को रोकने में मदद कर सकते हैं।
5. उचित नींद: मस्तिष्क के कार्य के लिए आवश्यक।
6. दीर्घकालिक स्थितियों का प्रबंधन: उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करें।
उपचार और प्रबंधन
हालाँकि, कुछ प्रकार के मनोभ्रंश अपरिवर्तनीय होते हैं जैसे कि अल्जाइमर, वैस्कुलर, फ्रंटोटेम्पोरल और लेवी बॉडी। इन लक्षणों को दवाओं, संज्ञानात्मक चिकित्सा और सहायता प्रणालियों से प्रबंधित किया जा सकता है। प्रतिवर्ती मनोभ्रंश (पोषण संबंधी कमियों, संक्रमणों, चयापचय संबंधी विकारों, शराब, प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं या अवसाद के कारण) में सुधार तब दिखाई देता है जब कारण कारकों को तुरंत संबोधित किया जाता है।