बहुत से लोग अंधेरे से डरते हैं, लेकिन जब यह डर इतना बढ़ जाए कि आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को इतना प्रभावित करने लगे तो इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है। अंधेरे का डर, जिसे ‘निक्टोफोबिया’ के नाम से जाना जाता है, एक ऐसा डर है जिसके कारण व्यक्ति अंधेरे में अत्यधिक चिंता, घबराहट और तनाव महसूस करता है। यह डर बचपन में शुरू हो सकता है, लेकिन कभी-कभी यह वयस्कता तक बना रहता है। यदि यह डर इतना बढ़ जाए कि आप अंधेरे में सो नहीं सकें या आप अंधेरे के बारे में सोचने से ही डरने लगें, तो यह एक गंभीर समस्या हो सकती है।
इस समस्या के कई लक्षण हैं, जैसे अंधेरे में हृदय गति का बढ़ना, पसीना आना, घबराहट महसूस होना या अंधेरे में जाने से बचने की कोशिश करना। कुछ लोगों को रात में अंधेरा होने के कारण अनिद्रा, बुरे सपने आना या बार-बार जागना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अगर आपको लगता है कि आप इस समस्या से जूझ रहे हैं तो पहले इसे स्वीकार करें। किसी से बात करें, चाहे वह परिवार का सदस्य हो, मित्र हो या पेशेवर हो। साथ ही धीरे-धीरे अंधेरे का सामना करने की कोशिश करें। शुरुआत में धीमी रोशनी में सोएं और फिर धीरे-धीरे अंधेरे में समय बिताना सीखें।
यदि आपका डर बहुत ज़्यादा है और आप इसे स्वयं दूर करने में असमर्थ हैं, तो किसी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लें। समय पर इलाज से इस डर पर काबू पाया जा सकता है और आप अपना जीवन सामान्य रूप से जी सकते हैं।
अंधेरे से डरना सामान्य हो सकता है, लेकिन इसे तब गंभीरता से लेना चाहिए जब यह आपके जीवन को प्रभावित करने लगे। यह किसी मानसिक समस्या का संकेत हो सकता है, जिसे पहचानकर उचित इलाज किया जा सकता है।