बेंगलुरु: किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है यह रक्त से विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने का काम करता है। लेकिन जब किडनी में रुकावट आती है तो इसका असर उसकी सामान्य कार्यप्रणाली पर पड़ता है। इससे शरीर में यूरिया और अन्य अशुद्धियां जमा हो जाती हैं।
यह किडनी की विफलता और उच्च रक्तचाप जैसी कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, लेकिन आयुर्वेद में कुछ ऐसे तत्वों का उल्लेख है जो इस रुकावट को खोलने और गुर्दे की पथरी को घोलने में मदद कर सकते हैं।
त्रिफला चूर्ण:
आयुर्वेद में त्रिफला चूर्ण को सर्वोत्तम औषधि माना गया है। यह शरीर को डिटॉक्सीफाई करने और किडनी के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। यह किडनी की रुकावट को दूर करने में मदद करता है और किडनी की कार्यक्षमता में सुधार करता है। रात को गुनगुने पानी में त्रिफला चूर्ण घोलकर नियमित सेवन करने से यूरिया का स्तर नियंत्रण में रहता है और किडनी की फिल्टर करने की क्षमता बढ़ती है।
गोखरू:
गोखरू का उपयोग आयुर्वेद में किडनी संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए सदियों से किया जाता रहा है। यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है. यह मूत्र के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और धीरे-धीरे किडनी की रुकावट को दूर करता है। गोक्षुरा पाउडर को पानी में मिलाकर पीने से किडनी ब्लॉक होने से रोका जा सकता है और यूरिया और क्रिएटिनिन के स्तर को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
मधुनाशिनी :
मधुनाशिनी एक और आयुर्वेदिक औषधि है। यह किडनी की रुकावट को दूर करने में मदद करता है। यह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाकर किडनी में ब्लॉकेज को दूर करने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से किडनी की कार्यक्षमता बेहतर होती है। हनीड्यू की पत्तियों का रस या पाउडर का नियमित सेवन किडनी के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
सावधानियां:
अगर आपको पहले से ही किडनी से जुड़ी कोई गंभीर समस्या है तो आयुर्वेदिक उपचार शुरू करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लें। इसके साथ ही स्वस्थ आहार और जीवनशैली अपनाना भी जरूरी है। इससे किडनी की सेहत अच्छी बनी रह सकती है.