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बजट राष्ट्र के लोगों की आकांक्षाओं की एक अंकगणितीय प्रस्तुति : प्रो अतुल शरण

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प्रयागराज, 08 अगस्त (हि.स.)। बजट राष्ट्र के लोगों की आकांक्षाओं की एक अंकगणितीय प्रस्तुति है। जिसमें कभी-कभी आर्थिक मुद्दों से ज्यादा महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दे हो जाते हैं। परंतु बजट को सरकार की नीतियों के एक क्रम के रूप में ही देखा जाना चाहिए जो कि उसकी दीर्घकालीन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु योजनाएं और नीतियां प्रस्तुत करता है।

उक्त विचार वृहस्पतिवार को मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी प्रोफेसर अतुल कुमार शरण ने अर्थशास्त्र विभाग, यूइंग क्रिश्चियन महाविद्यालय में व्याख्यान माला के अंतर्गत “बजट 2024ः विकसित भारत के लिए रोडमैप!“ विषय पर संगोष्ठी में व्यक्त किया। उन्होंने कहा बजट का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाता है कि विभिन्न योजनाओं पर किए जाने वाले व्यय और इसके प्राप्त होने परिणाम किस प्रकार से समाज को गुणात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। राजनीतिक दल इस बजट के लाभ और हानि की व्याख्या इस आधार पर भी करते हैं कि सत्ता में बने रहने या बाहर हो जाने की सम्भावनाएं क्या हैं।

प्रोफेसर शरण ने कहा कि बजट 2024 में अनेक ऐसे प्रावधान हैं जो कि विकसित भारत की एक मजबूत आधारशिला रखते हैं और सरकार की पिछली नीतियों और कार्यक्रम को ही आगे बढाते हैं। परंतु इसकी प्रभाविता इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार इन्हें कितनी मजबूती और प्रभावी रूप से क्रियान्वित करती है।

अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर अरुण मोजेज ने कहा कि बजट से हम सभी प्रभावित होते हैं और सरकार को विशेष रूप से शिक्षा और अनुसंधान पर अधिक व्यय करके गुणात्मक मानव संसाधन के विकास पर जोर देना चाहिए जिस ओर प्रयास इस बजट में दिखता है।

कार्यक्रम के संयोजक और विभागाध्यक्ष डॉ उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि बजट में रोजगार वृद्धि के संदर्भ में अनेक उपाय किए गए हैं। परंतु सरकार की दृष्टि के अनुरूप अधिक रोजगार निजी क्षेत्र में ही सृजित होंगे। आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षण संस्थानों से निकलने वाले युवा बाजार की मांग के अनुरूप योग्य और प्रशिक्षित हो, जिस पर बजट में कम प्रावधान किए गए हैं। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र पर दो तिहाई जनसंख्या निर्भर है और 45 प्रतिशत जनसंख्या रोजगार पा रही है। इस लिहाज से इस क्षेत्र पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा रहा है, विशेष रूप से शोध और अनुसंधान पर होने वाले व्यय को दोगुना करने की आवश्यकता थी। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए यह आवश्यक है कि इस ओर काफी गम्भीरता से संसाधन का आवंटन हो।

प्रोफेसर विवेक कुमार निगम ने कहा कि जनता की अपेक्षाएं बहुत अधिक होती हैं और उन सभी अपेक्षाओं को एक बजट में पूरा कर पाना किसी भी सरकार के लिए सम्भव नहीं है। ऐसे में सरकार जनता की अपेक्षाओं और भावनाओं के अनुरूप सभी ओर थोड़ा-थोड़ा ध्यान देने की कोशिश करती है। परंतु अपनी नीतियों और कार्यक्रमों की सततता को बनाए रखने का प्रयास करती है। यह बजट इस दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है कि इसने राजकोषीय संतुलन के साथ आर्थिक समृद्धि और रोजगार के विस्तार पर अधिक फोकस किया है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ उमेश प्रताप सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ विवेक कुमार निगम ने किया। अतिथि परिचय तान्या कृष्ण ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्रो जस्टिन मसीह, प्रो के एल पांडे, प्रो अशोक कुमार पाठक, प्रो आशुतोष शुक्ला, डॉ प्रदीप प्रिया, डॉ प्रेम प्रकाश सिंह, डॉ अरुणेय मिश्रा, डॉ पद्म भूषण प्रताप सिंह तथा डॉ गजराज सहित अनेक शिक्षक और शिक्षिकाएं उपस्थित थे।