वैश्विक अर्थव्यवस्था वाले अमेरिका में संभावित आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ती जा रही है। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी संकट के बादल छा गए हैं. विभिन्न आर्थिक संकेतकों और बाजार के उतार-चढ़ाव को देखने से पता चलता है कि अमेरिका मंदी के कगार पर है। अमेरिका में कई प्रमुख आर्थिक संकेतक कमजोर संकेत देने लगे हैं। इसलिए बेरोज़गारी के दावे जनवरी के निचले स्तर पर पहुँच गए।
नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा
पिछले डेढ़ साल में अमेरिका की आर्थिक मंदी का दुनिया भर के तकनीकी क्षेत्र पर भारी असर पड़ा होगा। जानकारी के मुताबिक, इस साल दुनिया भर में एक लाख 30 हजार लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। सिस्को, इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां पहले ही कर्मचारियों को पिंक स्लिप पकड़ा चुकी हैं। चिंता की बात यह है कि आने वाले दिनों में भी छँटनी का सिलसिला रुकने की संभावना नहीं है।
डर है कि आईटी ही नहीं ये सेक्टर भी आ जाएंगे धड़ाम
अमेरिका में मंदी की आशंका का असर आईटी के अलावा भारत में भी कई सेक्टरों की नौकरियों पर पड़ सकता है। अगर अमेरिका में हालात नहीं सुधरे और अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी में चली गई तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। जिसमें अमेरिका में मांग घटने से भारतीय निर्यात की मांग घट सकती है. आईटी, फार्मा और टेक्सटाइल सेक्टर अमेरिकी बाजार पर ज्यादा निर्भर हैं। इसके अलावा आर्थिक मंदी से वैश्विक आपूर्ति शृंखला में कमी आने की आशंका है. इससे भारतीय निर्यातकों के लिए स्थिति और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
आईटी सेक्टर पर क्या होगा असर?
भारतीय आईटी क्षेत्र विशेष रूप से अमेरिकी मंदी के प्रति संवेदनशील है। आर्थिक दबावों का सामना करते हुए, अमेरिकी कंपनियां आईटी खर्च में कटौती कर सकती हैं, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों के राजस्व में गिरावट देखने को मिल सकती है। इससे नौकरियों में कटौती और प्रोजेक्ट में कटौती हो सकती है, जिससे क्षेत्र के विकास पर काफी असर पड़ सकता है।