Friday , November 22 2024

Payment Rules: 2000 रुपये तक के भुगतान पर देना पड़ सकता है 18% GST, कंपनियों में हड़कंप

जीएसटी परिषद: वस्तु एवं सेवा कर परिषद (जीएसटी परिषद) की बैठक 9 सितंबर को होने वाली है। इसमें बिलडेस्क और सीसीएवेन्यू जैसी पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। अगर यह फैसला होता है तो इन्हें डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए 2000 रुपये से कम के भुगतान पर भी जीएसटी देना पड़ सकता है। फिलहाल इन्हें छोटे ट्रांजेक्शन पर छूट दी गई है। जीएसटी फिटमेंट पैनल का मानना ​​है कि इन कंपनियों को बैंकों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

80 प्रतिशत डिजिटल भुगतान 2000 रुपये से कम मूल्य के

सीएनबीसी टीवी18 की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जीएसटी फिटमेंट पैनल का मानना ​​है कि पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों पर जीएसटी लगाया जाना चाहिए। यह सभी पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों के लिए बड़ा झटका साबित होगा क्योंकि इस समय देश में कुल डिजिटल पेमेंट ट्रांजेक्शन में से 80 फीसदी से ज्यादा ट्रांजेक्शन 2000 रुपये से कम कीमत के हैं। 2016 में नोटबंदी के दौरान जारी एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार पेमेंट एग्रीगेटर्स को छोटे ट्रांजेक्शन पर व्यापारियों को दी जाने वाली सेवाओं पर टैक्स लगाने से रोक दिया गया था।

वर्तमान में 0.5% से 2% तक शुल्क लिया जाता है

पेमेंट एग्रीगेटर अभी हर ट्रांजेक्शन पर व्यापारियों से 0.5% से 2% तक चार्ज करते हैं। अगर जीएसटी लागू होता है तो वे अतिरिक्त लागत का बोझ व्यापारियों पर डाल सकते हैं। अभी पेमेंट एग्रीगेटर 2000 रुपये से कम के ट्रांजेक्शन पर जीएसटी नहीं देते हैं। वे कई डिजिटल पेमेंट सिस्टम जैसे क्यूआर कोड, पीओएस मशीन और नेट बैंकिंग के जरिए पेमेंट की सुविधा देते हैं। अगर ऐसा हुआ तो छोटे कारोबारियों पर बुरा असर पड़ेगा। इनके ज्यादातर पेमेंट 2000 रुपये से कम के होते हैं। अगर किसी कारोबारी को अभी 1000 रुपये के पेमेंट पर 1% गेटवे फीस के साथ 10 रुपये का शुल्क देना पड़ता है तो जीएसटी के बाद उसे 11.80 रुपये देने होंगे।

जीएसटी सिर्फ डेबिट और क्रेडिट कार्ड से किए जाने वाले भुगतान पर ही लागू होगा। फिलहाल यूपीआई डिजिटल पेमेंट का सबसे लोकप्रिय तरीका बन गया है। वित्त वर्ष 2024 में यूपीआई ट्रांजेक्शन में साल-दर-साल 57 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह 131 अरब को पार कर गया है। डिजिटल पेमेंट में यूपीआई की हिस्सेदारी 80 फीसदी से ज्यादा हो गई है। जीएसटी सिर्फ डेबिट और क्रेडिट कार्ड से किए जाने वाले डिजिटल ट्रांजेक्शन पर ही लागू होता है। यूपीआई ट्रांजेक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) लागू नहीं होता है, इसलिए जीएसटी लगने के बाद भी इन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।