नई दिल्ली। कई वाहन मालिक अक्सर अपने फास्टैग वॉलेट को रिचार्ज करना भूल जाते हैं। इस वजह से उन्हें टोल पर दोगुना पैसा देना पड़ता है। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। लेकिन, अब भारतीय रिजर्व बैंक ने उनकी इस समस्या का समाधान कर दिया है। जैसे ही फास्टैग का बैलेंस तय सीमा से कम होगा, पैसा अपने आप ग्राहक के बैंक खाते से वॉलेट में आ जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा फास्टैग और एनसीएमसी को ई-मैंडेट फ्रेमवर्क में शामिल करने से यह संभव हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को इन दोनों को ई-मैंडेट फ्रेमवर्क में शामिल करने की घोषणा की। यानी अब फास्टैग और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड यूजर्स को इन दोनों पेमेंट इंस्ट्रूमेंट में बार-बार पैसा डालने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।
RBI ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा कि फास्टैग और NCMC के तहत भुगतान के लिए कोई तय समय नहीं है। कभी भी भुगतान की जरूरत पड़ सकती है, इसलिए बिना किसी तय समय सीमा के खाते से पैसे क्रेडिट हो जाएंगे। जब इन पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स में बैलेंस तय सीमा से कम हो जाएगा, तो ग्राहक के खाते से पैसे अपने आप कट जाएंगे और इन वॉलेट्स में जुड़ जाएंगे। इसके लिए यूजर को बार-बार मैन्युअली पैसे डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ई-मैंडेट फ्रेमवर्क क्या है?
ई-मैंडेट फ्रेमवर्क, जिसे 2019 में शुरू होने वाले परिपत्रों की एक श्रृंखला द्वारा स्थापित किया गया था, ग्राहकों को उनके खातों में आने वाली डेबिट के बारे में सूचित करके उनकी सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया था। ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत ग्राहक के खाते से किसी भी निकासी से कम से कम 24 घंटे पहले सूचना देना आवश्यक है।
‘ई-मैंडेट’ यानी भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्वीकृति के तहत, वर्तमान में दैनिक, साप्ताहिक, मासिक आदि निश्चित अवधि की सुविधाओं के लिए, ग्राहक के खाते से एक निश्चित समय पर स्वचालित रूप से भुगतान हो जाता है। इस तंत्र के लिए, उपयोगकर्ता को ई-मैंडेट के माध्यम से एक बार पैसे डेबिट करने की अनुमति देनी होती है।