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Expressway Toll News: द्वारका एक्सप्रेसवे का सिर्फ टोल खत्म होगा? नितिन गडकरी का मंत्रालय कर रहा है बड़े बदलाव की तैयारी

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Expressway Toll News: केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कई बार कह चुके हैं कि आने वाले सालों में वे सड़कों से टोल प्लाजा हटा देंगे। अब NHAI इस दिशा में बड़ी पहल करने जा रहा है। द्वारका एक्सप्रेसवे पर देश के पहले मल्टी लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोल कलेक्शन के लिए बैंकों से आवेदन मांगे गए हैं। अगर यह योजना सफल रही तो द्वारका एक्सप्रेसवे पर एकमात्र टोल प्लाजा भी खत्म हो जाएगा। बैंक आपके वाहन के डेटा के आधार पर पैसे काटेंगे।

यह प्रणाली कैसे काम करेगी?

एनएचएआई की नई टोल प्रणाली सेंसर और फील्ड उपकरणों पर आधारित होगी। जब वाहन गुजरेंगे तो यह बैंक को डेटा भेजेगा। जिसके बाद बैंक पैसे काट लेगा। इस प्रणाली के प्रभावी हो जाने के बाद किसी अन्य टोल ऑपरेटर की जरूरत नहीं होगी।

बैंक कैसे काम करेंगे?

भारतीय बैंकों को सीधे टोल वसूली का कोई अनुभव नहीं है। ऐसे में एनएचएआई की सहायक कंपनी आईएचएमसीएल (एनएचएआई की संस्था जो टोल वसूली का काम देखती है) ने सब-कॉन्ट्रैक्टर को यह काम पूरा करने की अनुमति दे दी है। टेंडर के मुताबिक, सब-कॉन्ट्रैक्टर के पास कम से कम 200 किलोमीटर और भारत या विदेश में मल्टी-लेन फ्री फ्लो आधारित टोल सिस्टम लगाने का 10 साल का अनुभव होना चाहिए।

क्या फास्टटैग भी ख़त्म हो जाएगा?

अब तक जो बातें सामने आई हैं, उससे लगता है कि फास्टटैग जारी रहेगा। नई व्यवस्था वाहन के डेटाबेस से जानकारी एकत्र कर बैंक को भेजेगी। बैंक फास्टटैग वॉलेट से पैसे काट लेगा। टोल न चुकाने पर यह वाहन पोर्टल और ऐप पर दिखता रहेगा। साथ ही एनओसी और फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए बकाया राशि का भुगतान अनिवार्य होगा।

क्या द्वारका एक्सप्रेसवे का एकमात्र टोल खत्म हो जाएगा?

28 किलोमीटर लंबे द्वारका एक्सप्रेसवे पर दिल्ली-गुड़गांव बॉर्डर पर टोल है। वाहनों को टोल तभी देना पड़ता है जब वे इस टोल से गुजरते हैं। लेकिन इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद स्थिति बदल जाएगी। आपको बता दें, सफल बोली लगाने वाले को 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा। वहीं, उन्हें 3 महीने के अंदर अपना सिस्टम इंस्टॉल करना होगा।

एनएचएआई कई और एक्सप्रेसवे पर मल्टी लेन फ्री फ्लो सिस्टम लगाने की तैयारी कर रहा है। संगठन का मानना ​​है कि चूंकि बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की निगरानी में हैं, इसलिए वहां की व्यवस्था अधिक पारदर्शी होगी।