युवा पीढ़ी अक्सर पूछती है कि खरमास क्या है और इसका क्या मतलब है. तो हम आपको बता दें कि खरमास दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला शब्द है ‘खर’ जिसे आम बोलचाल की भाषा में गधा लिया जाता है। गधे को आलस्य और प्रमाद का प्रतीक माना जाता है। ‘मास’ का अर्थ है महीना, खरमास का अर्थ है वह अवधि जिसमें ऊर्जा और शुभता कम हो जाती है, यह वह अवधि है जब सूर्य धनु और मीन राशि में होता है, यह अवधि लगभग तीस दिनों की होती है।
यह किस राशि के लिए शुभ है
सूर्य की धन संक्रांति कर्क, तुला, कुंभ और मीन, वृषभ, कन्या और मकर राशि के लिए विशेष लाभकारी होती है और शेष राशियों के लिए सामान्यतः शुभ होती है। सूर्य के साथ बाकी ग्रहों की गणना करने पर सटीक राशिफल मिलता है।
ऊर्जा के देवता भगवान सूर्य खरमास में बृहस्पति के सामने झुकते हैं
खरमास में सूर्य देवगुरु बृहस्पति के घर पहुंचते ही अपना तेज जमा लेते हैं, अपनी शक्तिशाली किरणों को नियंत्रित कर सूर्य देवगुरु बृहस्पति के सम्मान में झुक जाते हैं, जिससे सभी शुभ कार्य कुछ अंतराल के लिए रुक जाते हैं। खरमास के दौरान शुभ कार्यों को स्थगित कर भगवान की पूजा करने का विधान बनाया गया है।
खरमास में दैनिक खरीदारी, नियमित पूजा-पाठ और अशुभ ग्रहों की शांति के कार्य बिना किसी बाधा के पूरे किए जा सकते हैं।
बृहस्पति की राशि में सूर्य की जीवनदायिनी ऊर्जा प्रत्येक मनुष्य को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध और उत्थान करने का अवसर प्रदान करती है, इसलिए खरमास के दौरान दान, स्नान और भगवान की पूजा करनी चाहिए। आध्यात्मिक शक्तियों के माध्यम से जीवन में शुभ ऊर्जा का विकास करने के लिए खरमास के दौरान भगवान सूर्य और श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। खरमास के दौरान प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ विशेष फलदायी होता है। खरमास में दैनिक खरीदारी, नियमित पूजा-पाठ और अशुभ ग्रहों की शांति के कार्य बिना किसी बाधा के पूरे किए जा सकते हैं।