अयोध्या, 25 नवंबर (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के “प्रतिष्ठा द्वादशी” के नाम से जाना जाएगा और पहली वर्षगांठ पौष शुक्ल द्वादशी 11 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा। यह उत्सव तीन दिन का होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक सोमवार को मणिराम दास छावनी में सम्पन्न हुई। बैठक चार ट्रस्टी उपस्थित नहीं हो पाए और भारत सरकार में विशेष सचिव आईएएस प्रकाश लोखंडे ऑनलाइन सम्मिलित हुए। बैठक में ही प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ के सिलसिले में यह तय हुआ है कि इसे प्रतिष्ठा द्वादशी के नाम से जाना जाएगा और पहली वर्षगांठ द्वादशी 11 जनवरी को है।
बैठक को अध्यक्षता ट्रस्ट अध्यक्ष एवं मणिराम छावनी मंहत नृत्य गोपाल दास महाराज ने किया। बैठक के बाद में ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि भक्तों द्वारा समर्पित 940 किलो चांदी सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिन्टिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया को मेल्ट करने के लिए सौंपी गई। जिसकी गुणवत्ता उच्चतम क्वालिटी की थी, 71 नमूनों में से 64 की गुणवत्ता 90 से 98 फ़ीसदी पाई गई।उन्होंने बताया कि अर्चक प्रशिक्षण 6 माह तक कराने के बाद उनका प्रमाण पत्र दिया गया था। उन अर्चकों की नियुक्ति नियमावली बैठक में स्वीकारी गई। जिन्हें नियमावली स्वीकार होगी। उन्हें सेवा में लिया जाएगा। समस्त आर्चकों को 18 मंदिरों में चक्रीय क्रम से जाना होगा। अशौच की दशा में अर्चक स्वविवेक से कार्य से विरत रहेंगे। जिस प्रकार जन्माष्टमी पर्व हिंदी तिथि एवं पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। उसी तरह पौष शुक्ल (कुर्म द्वादशी) को संतों का विचार है कि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाया जाए। वर्ष 2025 में यह तिथि 11 जनवरी को होगी। इसके अलावा दूरदर्शन 18 मंदिरों की आरती के उत्तम प्रसारण की व्यवस्था स्थायी रूप से कर रहा है।
परिसर में यात्री सेवा केंद्र के निकट 3000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में अपोलो हॉस्पिटल दिल्ली द्वारा हेल्थ केयर सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिसमें अल्ट्रासाउंड आदि सुविधाएं भी रहेंगी। उन्होंने बताया कि परिसर के दक्षिणी कोने में 500 लोगों के बैठने के लिए प्रेक्षागृह अतिथि समागृह तथा ट्रस्ट का कार्यालय निर्माण के लिए महंत नृत्य गोपाल दास जी ने पत्थर का अनावरण कर शुभारंभ किया।गर्मी और वर्षा से यात्रियों को बचाने हेतु मंदिर तक अस्थायी जर्मन हैंगर लगाए गए थे। अब यहां 9 मीटर चौड़े और लगभग 600 मीटर लंबे स्थाई शेड का निर्माण होगा। जिसका कुछ हिस्सा राजकीय निर्माण निगम उत्तर प्रदेश तथा कुछ हिस्सा एलएनटी को दिया गया है। महामंत्री चंपत राय ने बताया कि निर्माण प्रगति में क्रमशः सप्त मंडल मंदिर मार्च तक शेषावतार मंदिर अगस्त तक और परकोटा अक्टूबर तक बनकर पूर्ण होगा। उन्होंने रामानंदी परंपरा के श्रेष्ठतम संत नृत्य गोपाल दास जी के स्वास्थ्य के विषय में सोच समझ कर लिखने व बोलने की सलाह दी। पत्रकार वार्ता में ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र तथा मंदिर की व्यवस्था देख रहे गोपाल राव भी उपस्थित रहे।