लखनऊ, 19 नवम्बर (हि.स.)। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाने का आदेश असंवैधानिक बताया है। इसके साथ ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को केवल 18 घंटे बिजली देकर रोस्टर की बात करना भी असंवैधानिक बताया है। इन दोनों मुद्दों पर उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व की याचिका डालकर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) में दिए गए अधिकार का खुला उल्लंघन हो रहा है। सभी उपभोक्ताओं के यहां अनिवार्य रूप से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का आदेश असंवैधानिक है। उपभोक्ता को प्रीपेड अथवा पोस्टपेड मीटर लेने का विकल्प विद्युत अधिनियम देता है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को केवल 18 घंटे बिजली देकर 6 घंटे बिजली कटौती करके रोस्टर की बात करना असंवैधानिक है। कंज्यूमर राइट रूल 2020 की धारा 10 के तहत सभी को 24 घंटे बिजली देना है। ऐसे में जो लो- डिमांड में आठ मशीनों को बंद करना प्रदेश की जनता के साथ धोखा है। बंद पड़ी मशीनों को तत्काल चालू कराकर सभी को 24 घंटे बिजली देना चाहिए।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि पहले आयोग ने तय किया कि रोल आउट प्लान तकनीकी अपग्रेड होने पर मीटर निर्माता कम्पनी अपग्रेड करेगी, फिर 12 लाख पुरानी 2 जी 3जी तकनीकी के स्मार्ट मीटर अपग्रेड क्यों नहीं किए गए। वर्तमान में लग रहे 4जी तकनीकी को अब जब देश में 5 जी तकनीकी लागू हो गयी। क्या आने वाले समय में कम्पनियां अपग्रेड करेंगी?
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मिलकर एक लोक महत्व का जनहित प्रस्ताव सौंपते हुए मांग उठाई कि जब विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) में स्मार्ट प्रीपेड मीटर अथवा पोस्टपेड मीटर चुनने का विकल्प उपभोक्ता के पास है, ऐसे में एक रूल बनाकर उसके अनुसार अनिवार्य रूप से सभी घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर कैसे लगाया जा सकता है। विद्युत अधिनियम 2003 को रूल से पारित कोई भी आदेश सुपर सीड नहीं कर सकता। देश के अनेक राज्यों महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में इस संवैधानिक अधिकार पर उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं भी लम्बित है। गुजरात, बिहार सहित अन्य राज्यों में उपभोक्ताओं के विरोध के बाद मीटर लगाने की प्रक्रिया बंद पड़ी है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश में विद्युत नियामक आयोग इस मामले पर हस्तक्षेप करें और कानून की परिधि में विद्युत अधिनियम 2003 में प्रावधानित अधिकार का लाभ उपभोक्ताओं को दिलाये। वहीं दूसरी तरफ उपभोक्ता परिषद ने यह बड़ा सवाल उठाया कि देश के ग्रामीण उपभोक्ताओं को 18 घंटे बिजली देकर और यह कहना कि उत्तर प्रदेश में रोस्टर लागू है या पूरी तरह असंवैधानिक है। जब देश में कंज्यूमर राइट रूल 2020 सभी को 24 घंटे बिजली देने का अधिकार देता है, तो ऐसे में उत्तर प्रदेश में असंवैधानिक रोस्टर को समाप्त क्यों नहीं किया जा रहा है। उससे बडा संवैधानिक संकट यह खडा हो गया कि ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को 6 घंटे कम बिजली देकर लो डिमांड में प्रदेश की आठ उत्पादन इकाइयों को बंद कर दिया गया, जबकि उन बंद उत्पादन इकाइयों का जो फिक्स कास्ट की भरपाई आने वाले समय में उपभोक्ता करेंगे। ऐसे में सभी मशीनों को चालू कर कर ग्रामीण क्षेत्र की जनता को 24 घंटे बिजली आयोग दिलाए क्योंकि दोनों मामलों पर आयोग को ही निर्णय लेने का अधिकार है।