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आचार्य देवो भव, मातृ देवो भव और पितृ देवो भव की शिक्षा आवश्यक : रामाशीष

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कानपुर, 24 अक्टूबर (हि.स.)। हमारे प्राचीन भारत में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली होती थी और दीक्षांत समारोह होता था, परन्तु अब ऐसा नहीं हैं। वर्तमान समय में ‘आचार्य देवो भव, मातृ देवो भव, पितृ देवो भव’ की शिक्षा देना अति आवश्यक है। यदि किसी भी लोकहित कार्य के सम्पादन में कोई समस्या हो, तो मृदुभाषी लोकचिंतक महापुरुषों का अनुसरण व अनुकरण कर कार्य को सम्पादित करने का प्रयास करना चाहिए। यह बातें गुरुवार को कानपुर में श्रद्धेय बैरिस्टर नरेन्द्रजीत सिंह की स्मृति समारोह बतौर मुख्य अतिथि गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष ने कही।

बीएनएसडी शिक्षा निकेतन इंटर कालेज बेनाझाबर में गुरुवार को श्रद्धेय बैरिस्टर नरेन्द्रजीत सिंह इकतीसवां स्मृति समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि रामाशीष ने कहा कि श्रद्धेय बैरिस्टर नरेन्द्रजीत सिंह समाज के सभी वर्गो के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति हो एवं सभी का सम्मान भी हो और सभी लोगों को राष्ट्रवादी बनाने का प्रयास रहा। वह जीवन पर्यन्त समाज के लिये प्रेरणादायी रहे हैं। कुछ विद्यालयों में चलाये जा रहे संस्कार केन्द्र स्व. बैरिस्टर साहब के सर्वहित चिंतन का साक्षात दर्शन है। हम सभी को उनके विचारों से प्रेरणा लेकर लोकहित और समाजहित मे अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। मुख्य अतिथि ने सिलाई केन्द्र की छात्राओं द्वारा स्वहस्तनिर्मित वस्त्रों एवं वस्तुओं की प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा संस्कार केन्द्र के विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता 69 छात्र-छात्राओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।

बालक-बालिकाओं को मिल रही व्यवसायपरक शिक्षा

श्री बह्मावर्त सनातन धर्म महामण्डल के अध्यक्ष वीरेन्द्रजीत सिंह ने कहा कि बैरिस्टर नरेन्द्रजीत सिंह बाल संस्कार केन्द्र की स्थापना का उद्देश्य क्षेत्रीय सेवा बस्ती के आर्थिक रुप से कमजोर बालक-बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षण एवं व्यवसायपरक शिक्षा प्रदान कर उन्हें सुदृढ़ व्यावहारिक एवं सामाजिक जीवन व्यतीत करने के योग्य बनाना है। मां सुशीला नरेन्द्रजीत सिंह सिलाई केन्द्र का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रुप से कमजोर बालिकाओं को आत्मनिर्भर व स्वावलम्बी बनाकर भावी जीवन में अपने परिवार ही नहीं बल्कि समाज का हिस्सा बनने योग्य तैयार करना है। यहां विविध शिल्प कलाओं के प्रशिक्षण देने के साथ-साथ बालिकाओं को देशभक्ति एवं भारतीय संस्कृतिपरक भावों को जाग्रत करने का भी कार्य किया जाता है। बैरिस्टर साहब का मानना था कि देश को समृद्धशाली बनाने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग का सम्पूर्ण विकास आवश्यक है। सिलाई केन्द्र एवं बाल संस्कार केन्द्र बैरिस्टर साहब के सपनों को साकार कर रहे हैं।

यह रहे मौजूद

इस दौरान विद्यालय के प्रबंधक आदित्यशंकर बाजपेयी, सह प्रबधंक श्याम अरोड़ा, सिलाई केन्द्र एवं बाल संस्कार केन्द्र की प्रबन्धिका मंजूबाला श्रीवास्तव, पं. रमाकान्त मिश्र, नन्दिता वीरेन्द्रजीत सिंह, बालकृष्ण लाहोटी, सुरेन्द्र कक्कड़, नीतू सिंह, योगेन्द्र भार्गव, हरिभाऊ खाण्डेकर, डाॅ कमल किशोर गुप्ता, शरद कृष्ण पाण्डेय, संजीव पाठक, रोचना विश्नोई,, साहब लाल, कुंजबिहारी गुप्ता आदि मौजूद रहें।