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सीसामऊ से भाजपा उम्मीदवार बने सुरेश अवस्थी, सपा से सीधी टक्कर

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कानपुर, 24 अक्टूबर (हि.स.)। सीसामऊ विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने एक बार फिर सुरेश अवस्थी पर भरोसा जताया है। हालांकि 2017 में उनकी हार का अंतर बहुत अधिक नहीं रहा, पर दावेदारों की लंबी सूची रही। वहीं सपा से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी उम्मीदवार हैं। बसपा ने भी इस बार उपचुनाव में अपना उम्मीदवार उतारा है, पर माना जा रहा है कि सपा और भाजपा में ही सीधी टक्कर होगी।

सपा के इरफान सोलंकी को कोर्ट से सात साल की सजा मिलने के बाद रिक्त हुई ​सीसामऊ विधानसभा सीट को जीतने के लिए भाजपा ने अबकी बार पूरी ताकत लगा दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले जीआईसी मैदान पर रैली करके साफ कर दिया था कि अबकी बार चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। इसके बाद से इस सीट के प्रभारी मंत्री व कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना और सह प्रभारी मंत्री नितिन अग्रवाल का बराबर दौरा बना रहा। माहौल भाजपामय होने के बावजूद उम्मीदवार का चयन बड़ी चुनौती बनी रही। कभी दलित उम्मीदवार की बात सामने आ रही थी तो कभी ब्राह्मण या कभी वैश्य। पूर्व विधायक राकेश सोनकर ने पर्चा भी खरीद लिया था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी। इन सबके बावजूद अन्तत: बाजी पूर्व उम्मीदवार रहे सुरेश अवस्थी के हाथों लगी। पार्टी ने गुरुवार को सुरेश अवस्थी के नाम का एलान कर दिया। ऐसे में एक बार फिर सुरेश अवस्थी सोलंकी परिवार के सामने सीधी चुनौती पेश करेंगे।

छह बार से जीतता आ रहा है सोलंकी परिवार

सीसामऊ विधानसभा सीट पर इरफान सोलंकी लगातार तीन बार से जीतते आ रहे हैं। इससे पूर्व इस क्षेत्र को आर्य नगर सीट के नाम से जाना जाता था। उसमें भी एक बार इरफान सोलंकी की जीत हुई है और उससे पूर्व उनके पिता हाजी मुश्ताक सोलंकी भी दो बार विधायक बने। इस प्रकार इस क्षेत्र से लगातार छह बार से सोलंकी परिवार जीतता आ रहा है। अबकी बार एक बार फिर सोलंकी परिवार उपचुनाव में है और इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी सपा की उम्मीदवार है। सोलंकी परिवार लगातार छह बार समाजवादी पार्टी से ही जीतता आ रहा है।

गुटबाजी में तीन बार मिली हार

2009 में परिसीमन के तहत कानपुर की सभी विधानसभा सीटों के क्षेत्रों में बदलाव हुआ। 2007 तक जो सीट आर्यनगर के नाम से जानी जाती थी उसका करीब 60 फीसद क्षेत्र सीसामऊ विधानसभा में चला गया। ऐसे में सोलंकी परिवार सीसामऊ सीट पर चुनाव लड़ने लगा और लगातार तीन बार इरफान सोलंकी विधायक बने। तीनों बार भाजपा गुटबाजी के चलते हार गई, जबकि भाजपा के पास जीत का अवसर था। इसके पीछे कारण यह है कि परिसीमन के बाद करीब 40 फीसद मुस्लिम आबादी जो सपा का अहम मतदाता था वह आर्यनगर में चला गया। इसके बावजूद भाजपा को हार का सामना लगातार करना पड़ रहा है।

दो बार से सुरेश अवस्थी को मिल रही हार

सुरेश अवस्थी को भाजपा ने 2017 में सीसामऊ सीट से उम्मीदवार बनाया तो उन्हे हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में पार्टी ने अगली बार 2022 में गुटबाजी को खत्म करने के लिए सुरेश अवस्थी को आर्यनगर सीट से टिकट दिया और आर्य नगर से चुनाव लड़ने वाले सलिल विश्नोई को सीसामऊ से टिकट दिया। लेकिन गुटबाजी नहीं खत्म हुई और दोनों चुनाव हार गये। अबकी बार संभावना जताई जा रही थी कि भाजपा जीत के लिए दलित कार्ड खेलेगी, पर अन्तत: सुरेश अवस्थी एक बार फिर उम्मीदवार बनने में सफल रहे। हालांकि उपचुनाव में भाजपा संगठन की ओर से जबरदस्त तैयारी की गई है और सोलंकी परिवार की राह आसान नहीं है।

28 साल से नहीं खिला कमल

सीसामऊ सीट पर राम मंदिर लहर में पहली बार 1991 में कमल खिला और पार्टी उम्मीदवार राकेश सोनकर ने जीत दर्ज की। इसके बाद लगातार दो बार और भाजपा के राकेश सोनकर ने जीत दर्ज की। 1996 के बाद इस सीट पर कमल नहीं खिला और अबकी बार उपचुनाव में भाजपा 28 साल के सूखे को खत्म करने का प्रयास कर रही है।

सपा से होगी सीधी टक्कर

सीसामऊ सीट पर सपा पार्टी काफी मजबूत है और सोलंकी परिवार लगातार जीत रहा है। उपचुनाव में पूर्व विधायक इरफान सोलंकी जरुर महाराजगंज जेल में बंद है, लेकिन सहानुभूति मतदाताओं में सोलंकी परिवार के प्रति कम नहीं है। इसी को देखते हुए सपा ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है। सपा के कब्जे में रही इस सीट पर नसीम को हराना बीजेपी के लिए आसान नहीं होने वाला है। फिलहाल भाजपा ने इस सीट पर कब्जा करने के लिए पूरा दम लगाया हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि सुरेश अवस्थी और नसीम सोलंकी के बीच सीधी टक्कर होगी।