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राष्ट्रपति जरदारी ने 26वें संवैधानिक संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर किए

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इस्लामाबाद, 21 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने संसद से पारित 26वें संवैधानिक संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए। आज सुबह संसद की मंजूरी के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सलाह पर विधेयक को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पास भेजा गया। इस विवादास्पद कानून पर राष्ट्रपति की सहमति के बाद एक गजट अधिसूचना जारी कर दी गई। यह जानकारी जियो न्यूज चैनल ने दी।

उल्लेखनीय है कि नेशनल असेंबली ने करीब पांच घंटे की बहस के बाद आज तड़के विवादास्पद 26वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित किया। पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र डॉन की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, 336 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में मतदान के दौरान 225 सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया। संसद के दोनों सदनों से अनुमोदन के बाद अब यह कानून बन गया।

इस विधेयक को शुरुआत में सीनेट ने दो-तिहाई बहुमत के साथ हरी झंडी दी थी। इसे रविवार देररात 11ः36 बजे नेशनल असेंबली में कानूनमंत्री आजम नजीर तरार ने प्रस्तुत किया। इस पर रात को करीब पांच घंटे तक बहस हुई। अंततः यह सुबह पांच बजे पारित हो गया। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और सुन्नी-इत्तेहाद परिषद (एसआईसी) के 12 सदस्यों ने इसका विरोध किया। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के पांच सीनेटर और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) के दो सांसदों ने भी विधेयक के पक्ष में मतदान किया। विधेयक में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति के लिए 12 सदस्यीय आयोग गठित करने का प्रस्ताव है। साथ ही मुल्क के प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति को तीन वर्ष के लिए सीमित करने का प्रावधान है।

एआईवाई न्यूज चैनल के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि 26वें संवैधानिक संशोधन का पारित होना राष्ट्रीय एकजुटता और सर्वसम्मति का उत्कृष्ट प्रकटीकरण है। यह कानून आम आदमी के लिए आसान और त्वरित न्याय सुनिश्चित करेगा।