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बाबा विश्वनाथ सामाजिक समरसता के प्रतीक : स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती

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वाराणसी, 21 अक्टूबर (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की दो दिवसीय बैठक का समापन सोमवार को हुआ। सिगरा स्थित कैवल्य ज्ञान मंदिर परिसर में आयोजित बैठक में संत समाज ने धर्मांतरण को रोकने और सामाजिक समरसता के लिए देशभर में व्यापक जन जागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया। इस अभियान में संत गांव-गांव जाकर हिंदू समाज को मत, पंथ, संप्रदाय में विभाजित होने से रोकने के लिए जागरूक करेंगे। बैठक में तय हुआ कि प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ से पहले हिंदी भाषी क्षेत्रों—उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड से आए संत व्यापक जनजागरण अभियान के तहत हिंदू समाज को एकजुट करेंगे।

बैठक में काशी सुमेरूपीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि हिंदू समाज में संस्कारों की कमी के कारण परिवार टूट रहे हैं। उन्होंने छुआछूत को धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से पाप बताया। कहा कि स्वतंत्र भारत में सभी हिंदू एक हैं। उन्होंने बाबा विश्वनाथ को समरसता का प्रतीक मानते हुए कहा कि उनके प्रति श्रद्धा पूरे देश और दुनिया के सभी श्रद्धालुओं में है।

स्वामी नरेन्द्रानंद ने कहा कि हमें भाषा, प्रांत, जाति, मत, पंथ और संप्रदाय के आधार पर बांटने की साजिशों के खिलाफ जागरूक होना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू समाज में धर्मांतरण के जरिए उसे कमजोर करने के प्रयास हो रहे हैं, और संत समाज अब तय कर चुका है कि गांव-गांव में गोष्ठियां और सत्संग आयोजित कर हिंदू समाज को जागरूक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रयास एक रचनात्मक क्रांति को जन्म देगा।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज ने कहा कि भारतीय जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना और सामाजिक परंपराओं के निर्वहन में हमारे संस्कार महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने स्वतंत्रता के बाद कथित सेक्युलरवाद के नाम पर हिंदू समाज की आस्था, संस्कृति और परंपराओं के साथ खिलवाड़ किए जाने की बात कही। उन्होंने बताया कि आज जनसंख्या असंतुलन राष्ट्रीय हितों और हिंदू समाज की मान्यताओं को कमजोर कर रहा है, और इस पर कानून बनाने की आवश्यकता है। संतों ने एकमत से निर्णय लिया कि 24 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ के अवसर पर केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की अगली बैठक होगी। इसके साथ ही 25-26 जनवरी को संत सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश और दुनिया के सभी हिंदू परंपराओं को मानने वाले संतों को आमंत्रित किया जाएगा। 25 जनवरी को साध्वी सम्मेलन और 26 जनवरी को निवासित संत सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जबकि 27 जनवरी को युवा संत सम्मेलन होगा। इन सम्मेलनों में संत समाज हिंदू समाज की चुनौतियों पर विचार करेगा और समाधान के लिए अपने मार्गदर्शन देगा।

बैठक में विहिप के केंद्रीय संरक्षक दिनेश ने धर्मांतरण रोकने, मत-पंथ संप्रदाय के बीच भेदभाव समाप्त करने और सामाजिक समरसता की दिशा में संतों के मार्गदर्शन की आवश्यकता जताई।

विहिप के केंद्रीय महामंत्री (संगठन )मिलिंद परांडे ने कहा कि केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के हिंदुओं को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण के जरिए हिंदू समाज को विभाजित करने का षड्यंत्र चल रहा है, जिसे संतों के मार्गदर्शन में रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के हिंदू अपनी धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंतित हैं।

बैठक में भानु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ , विहिप के केंद्रीय मंत्री हरिशंकर, क्षेत्र संगठन मंत्री गजेंद्र, प्रांत संगठन मंत्री नितिन, क्षेत्र धर्माचार्य संपर्क प्रमुख जितेंद्र,श्यामसुंदर दास, भारत भूषण,महंत राम हृदय, क्षेत्र सत्संग प्रमुख दिवाकर नाथ त्रिपाठी, प्रांत सहमंत्री सत्य प्रकाश सिंह, प्रांत धर्माचार्य संपर्क प्रमुख आद्या शंकर आदि ने भी भाग लिया।